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भिवंडी (महाराष्ट्र) में ‘भारतमाता की जय’ घोषणा करते हुए अोवैसी को निलंबित करने की ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’द्वारा की मांग !

भिवंडी में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ !

यदि ‘ओवैसी’समान लोगोंकी संख्या में वृद्धि हुई, तो भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे ! – श्री. सुशील तिवारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, स्वराज्य हिन्दू सेना

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भिवंडी के ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ में सम्मिलित हिन्दू धर्माभिमानी

भिवंडी (महाराष्ट्र) : आज ‘भारतमाता की जय’ नहीं कहेंगे, ऐसा कहनेवाले ओवैसी केवल दो हैं, परंतु यदि कल इनकी संख्या में वृद्धि हुई, तो भारत की क्या अवस्था होगी, इसका विचार करना चाहिए ! आज यदि हम संगठित नहीं हुए, तो भविष्य में हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे एवं हम ऐसे ही संगठित होते रहे, तो भविष्य में भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना संभव है ! स्वराज्य हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. सुशील तिवारी ने यहां ऐसे उद्गार व्यक्त किए।

२० मार्च को सायं ५ बजे भिवंडी के टेमघर पाईपलाईन नाके के समीप आयोजित राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन में वे बोल रहे थे। इस आंदोलन में विविध हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके ११० धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे।

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मैंने भारत में जन्म लिया है, फिर भी ‘भारतमाता की जय’ नहीं कहूंगा, इस प्रकार देशद्रोही विषवमन करनेवाले असदुद्दीन ओवैसी को ‘भारतमाता का अपमान करने के प्रकरण’ में निलंबित करने की मांग विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा ‘भारतमाता की जय’ की गर्जना कर की गई !

टेमघर ग्रामवासियोंके नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन में उपरोक्त मांग के साथ ही अन्य मांगें भी की गर्इं।

इस अवसर पर ग्रामस्थ मंडल टेमघर पाडा भादवड, विश्व हिन्दू परिषद, वारकरी संप्रदाय, बजरंग दल, मानव हित सेवा संघ, माउली मित्र मंडल, मंगलमूर्ति फाऊंडेशन, स्वराज्य हिन्दू सेना, सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति आदि संगठन सम्मिलित हुए थे।

आज हर हिन्दु को अपने ‘संप्रदाय’ से परे हों कर ‘एक हिन्दू’ के रूप में संघटित होने की आवश्यकता है ! – ह.भ.प. चिंतामणी महाराज, भिवंडी जिला अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद

आज हम सब हिन्दू धर्मपर हो रहे अत्याचारोंके विरोध में ‘एक हिन्दू’ के रूप में सभी संप्रदायोंसे परे हो कर संघटित हुए हैं। इसी प्रकार से जब जब हिन्दुओंपर अत्याचार होंगे, तब तब ‘एक हिन्दू’ के रूप में हमें संगठित होना चाहिए।

ओवैसी समान देशद्रोहियोंका निषेध करता हूं ! – ह.भ.प. विठ्ठल नाईक, वारकरी संप्रदाय

आज हम सब संस्था एवं युवक यहां ओवैसी समान देशद्रोहियोंका निषेध कर रहे हैं, हर व्यक्ति, जिस की रगों में ओवैसी समान ‘देशद्रोही’ खुन नहीं दौड़ता, उसने ‘भारतमाता की जय’ कहना ही चाहिये !

केवल हिन्दुओंके ही त्यौहार को विरोध करना ‘धर्मनिरपेक्षतावादि’योंकी नीति है ! – श्री. मनोज जोशी, कोकण प्रांत धर्माचार्य, विश्व हिन्दू परिषद

आज प्रसारमाध्यमें जो झूठा प्रसार कर, जानबूझकर ‘हिन्दू धर्म एवं हिन्दू संतों’का अपमान कर रहे हैं, उसके पीछे हिन्दुओंके मन में ‘हिन्दू धर्म’ के विषय में घृणा उत्पन्न हो, जिस से उनका आसानी से ‘धर्मपरिवर्तन’ करना सुलभ हो, ऐसा बडा षडयंत्र है ! केवल हिन्दुओंके ही त्यौहार को विरोध करना धर्मनिरपेक्षतावादियोंकी नीति है !

जिस धर्म में मैंने जनम लिया उस ‘धर्म’ के लिए मैं समय नहीं दे सकता, तो मेरे लिए यह ‘लज्जाजनक’ है !

हिन्दूद्रोही लेखक डॉ. यारल्लगदा लक्ष्मीप्रसाद को ‘पद्मभूषण’ पुरस्कार देना, इसका सभी जनता ने विरोध करना चाहिए ! – श्रीमती धनश्री केळशीकर, सनातन संस्था

यज्ञकुंड से उत्पन्न हुई ‘द्रौपदी’ देवी का अश्लील वर्णन करनेवाली ऐसी उपन्यास पर प्रतिबंध लगाने के स्थान पर शासन, इसके लेखक डॉ.यारल्लगदा लक्ष्मीप्रसाद को ‘पद्मभूषण’ पुरस्कार देने जा रहा है ! आज मलेशिया में हिन्दुओंका परिचय ‘मुसलमान’ के रूप में कराया जा रहा है। आज वे हिन्दू होते हुए भी, दस्तावेजोंपर मुसलमान बन चुके हैं। आज मलेशिया में जो हो रहा है, वो कल, भारत में भी हो सकता है !

संविधान में लिखा नहीं है, तो भी हज के लिए अनुदान, कैसे लेते हो ? – श्री. प्रसाद वडके, हिन्दू जनजागृति समिति

ओवैसी कहता है कि, संविधान में ‘भारतमाता की जय’ कहने के संदर्भ में लिखा नहीं ! तो संविधान में लिखा न होते हुए भी मस्जिद पर अवैधानिक भोंपुं कैसे लगाते हो, हज के लिए अनुदान कैसे लेते हो ? हिन्दुओंने केवल शिवजयंती के उपलक्ष्य में वर्ष में सिर्फ एक बार ही नहीं, अपितु हर सप्ताह में न्यूनतम एक बार तो संघटित होना आवश्यक है !

भारत का खाकर पाकिस्तान की जयजयकार करनेवाले, ‘जिस थाली में खातें हैं उसी में छेद’ करनेवाले ये दंगेखोर लोग हैं ! – श्रीमती प्रेमा यशवंत नाईक, वारकरी संप्रदाय

क्षणचित्र

१. कु. जय समर्थ नाईक, इस ७ वर्ष के बालक ने भी हाथ में फलक लिये निषेध व्यक्त किया !

२. आंदोलन का शुभारंभ ह.भ.प. चिंतामणी महाराज के शुभ हाथों भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का पूजन कर, हुआ !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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