भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई देहली – हिंदू पद्धति के नजदीक पूजा करने वाला इराक का यजदी समुदाय भारत में शरण चाहता है। इस समुदाय की करीब ५ से ७ लाख आबादी है। इनका कहना है कि इराक में आईएसआईएस उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है।
यही नहीं, यह आतंकी संगठन उनके गांवों में नरसंहार कर रहा है। ऐसे में उन्हें भारत ही एक ऐसा स्थान लगता है, जहां वह सुरक्षित रह सकते हैं। भारत में शरण के निवेदन के साथ जल्द ही इस समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आने वाला है। इस दल ने प्रधानमंत्री कार्यालय से भी समय मांगा है। जिससे वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उनके सामने अपना पक्ष रख पाएं।
भारत में पढ़ रहे इस समुदाय के एक छात्र एस हुसैन (नाम परिवर्तित) ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि वह और उसके कई अन्य साथी भारत में पढ़ाई के लिए आए थे। इस बीच यह समस्या उत्पन्न हो गई है। इसे देखते हुए उसके कई साथी वापस इराक लौट गए। लेकिन वे अपने परिवार तक पहुंचे या नहीं इसकी जानकारी किसी को नहीं है। उनके समुदाय के लोग पहाड़ों में छुपकर जान बचाते घूम रहे हैं। मजबूरी में उनके समुदाय के लोग बच्चों, बुजुर्गो को छोड़कर जा रहे हैं। जिससे अपनी जान बचा पाएं।
हिंदुओं से मिलती-जुलती है पूजा पद्धति
हुसैन ने भास्कर को बताया कि उनकी पूजा पद्धति बहुत हद तक हिंदू पूजा पद्धति से मिलती है। वे मोर के उपासक हैं जबकि इराक में कट्टरपंथी इसे अपने धर्म के खिलाफ कहते हैं। यही नहीं, उनका समुदाय भारत के पारसी समुदाय की तरह है। इसमें बाहर से किसी को शामिल नहीं किया जाता है। यही वजह है कि बीस लाख की आबादी वाले इस समुदाय में अब मात्र 5 से 7 लाख लोग रह गए हैं। हुसैन कई जगह ठिकाने बदलकर रह रहा है।
सांसद को आना था, लेकिन नहीं आ सकीं
उसका कहना है कि उनकी सांसद यहां आने वाली थीं लेकिन उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसकी वजह से वह यहां नहीं पाईं। अब उनकी जगह एक प्रतिनिधिमंडल यहां आने वाला है। यह दल प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष शरण देने का अनुरोध पेश करेगा। हुसैन ने कहा कि भारत उन्हें इसलिए मुफीद लगता है क्योंकि उनकी पूजा पद्धति बहुत हद तक हिंदू रीति के नजदीक है। ऐसे में उन्हें मोदी सरकार से उम्मीद है। यजदी समुदाय के इस छात्र को प्रश्रय देने के साथ ही इस समुदाय के भारत आगमन को लेकर कार्य कर रहे लाइव वैल्यूज फाउंडेशन से जुड़े सरदार रविरंजन सिंह का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संबंध में आशानुरूप कदम उठाएंगे।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर