शुद्ध भाद्रपद कृ. १, कलियुग वर्ष ५११४
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हिंदू राष्ट्रके उद्देश्यकी जानकारी पूर्णतः लेनेका प्रयास न करते हुए आलोचना करनेवाले सनातनद्वेषी कांग्रेसके गोवाके विधायक आलेक्स रेजिनाल्ड लॉरेन्स !
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कहते हैं, ‘हिंदू राष्ट्रका प्रसार करनेवाली सनातन संस्था और जनजागरणपर प्रतिबंध क्यों न लगाया जाए ?’
पणजी (गोवा) : सनातन संस्था तथा जनजागरण ये संगठन हिंदू राष्ट्रका प्रसार कर रहे हैं क्या ? ऐसे संगठन संविधानके अधिकारक्षेत्रमें हैं क्या ? इन संगठनोंपर प्रतिबंध न लगानेके कारण हैं क्या ? इससे पूर्व इसमेंसे किसी संगठनपर प्रतिबंध लगाया गया है क्या ? यदि लगाया गया है, तो कब ? ऐसे निरंतर प्रश्न कांग्रेसके विधायक आलेक्स रेजिनाल्ड लॉरेन्सने गृहमंत्री तथा मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकरसे विधानसभामें पूछे थे ।
(‘हिंदू जनजागृती समिती’ का नाम भी योग्य प्रकारसे ज्ञात न होनेवाले उसके कार्यके विषयमें कभी भी जानकारी लेंगे क्या ? संपूर्ण एशिया महाद्वीपको ईसाईमय बनानेका आवाहन व्हॅटिकन करता है तथा उसके अनुसार मुख्यतः भारत और एशिया खंडके अन्य देशोंमें मिशनरियोंद्वारा धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है । यह धर्मपरिवर्तन रोकनेका प्रयास करनेपर इन्हीं ईसाईयोंने ओरिसामें स्वामी लक्ष्मणानंदकी गोलियां मारकर हत्या की । ऐसा होते हुए भी पोप महोदयका भारतमें जोरशोरसे स्वागत किया जाता है । उस समय हिंदुओंको पोपकी भारतभेंटपर प्रतिबंध लगानेकी मांग करनी चाहिए क्या ?- संपादक)
इन प्रश्नोंका उत्तर देते हुए मुख्यमंत्रीने कहा कि, संविधानके विरोधमें काम करनेवाले संगठनोंको देशमें कार्य नहीं करने दिया जाता तथा ऐसे संगठनोंपर अवैधानिक कृत्य प्रतिबंधक विधेयक १९६७ के अंतर्गत प्रतिबंध लगाया जा सकता है । यह प्रतिबंध लगानेका अधिकार केंद्रशासनको है । (हिंदू राष्ट्रकी मांग पूर्णतः संवैधानिक ही है । हिंदू राष्ट्र स्थापनाके लिए आवश्यक सर्व कृत्य राष्ट्रीय हितके लिए ही होंगे । अन्य धर्मीय हिंदू राष्ट्रका उद्देश्य जाननेका प्रयास न करते हुए ही निरर्थक आलोचना करना बंद करें ! – संपादक)
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात