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‘आर्ट ऑफ लिविंग’द्वारा श्रद्धालुओंको कृत्रिम हौजमें भगवान श्री गणेशजीकी मूर्तियोंका विसर्जन

आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६

हिन्दू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंद्वारा उद्बोधन करनेके पश्चात भी ‘आर्ट ऑफ लिविंग’के कार्यकर्ता अपनी धर्मशास्त्रविरोधी भूमिकापर अडिग

पुणे (महाराष्ट्र) – भगवान श्री गणेशजीकी मूर्तियोंका नदीमें विसर्जन करनेसे जलप्रदूषण होता है, ऐसा कहते हुए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’के कार्यकर्ताओंने अनंत चतुर्दशीके दिन यहांके बाबा भिडे पूल तथा ओंकारेश्‍वर घाटमें श्रद्धालुओंद्वारा धर्मशास्त्रके विरुद्ध कृत्रिम हौजमें विसर्जन करने हेतु उपक्रम चलाया । इस अवसरपर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’के कार्यकर्ता श्रद्धालुओंपर ‘नदीका पानी अत्यंत प्रदूषित है तथा उसमें भगवान श्री गणेशजीकी मूर्तियोंका विसर्जन कर नदीको अधिक प्रदूषित न करें‘, ऐसा कहते हुए हौजमें विसर्जन करने हेतु दबाव डाल रहे थे ।(‘आर्ट ऑफ लिविंग’ एक आध्यात्मिक संस्था है, तब भी  इस प्रकारसे धर्मशास्त्रविरोधी उपक्रम चलाना अनुचित है । प्रत्यक्षमें भी वैज्ञानिक संशोधनसे सिद्ध हो गया है कि श्री गणेशमूर्तियोंके कारण किसी भी प्रकारका जलप्रदूषण नहीं होता । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

पुणे ‘मिरर दैनिक’में प्रसिद्ध समाचार ‘हौजमें विसर्जित गणेशमूर्तियां महापालिका द्वारा पुनः नदीमें ही अत्यंत अनुचित पद्धतिसे विसर्जित की जा रही हैं, ‘ तथा हौजमें विसर्जित गणेशमूर्तिर्योंकी अनादर होनेकी पद्धतिके विषयमें समितिके कार्यकर्ताओंने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’के कार्यकर्ताओंको अवगत कराया । तब भी अयोग्य भूमिकामें अडिग रहते हुए कार्यकर्ताओंने अपना धर्मशास्त्रविरोधी उपक्रम चलाया । ( इससे हिन्दुओंमें धर्मशिक्षाकी कितनी आवश्यकता है, यह स्पष्ट होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) भगवान श्री गणेशजीकी कृपासे श्रद्धालुओंने हौजकी अपेक्षा नदीमें ही श्रीगणेशमूर्तियोंका विसर्जन करनेकी इच्छा दर्शाई ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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