आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
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धर्मांधोंकी चापलूसी करनेवाले राज्यशासनको तमाचा !
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मिलिंद एकबोटेद्वारा की गई इस लडाईको बडी सफलता !
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मुंबई – समस्त हिन्दू मोर्चाके कार्याध्यक्ष श्री. मिलिंद एकबोटेद्वारा हस्तक्षेप याचिका प्रविष्ट की गई थी । उस याचिकामें यह मांग की गई थी कि प्रतापग्ढमें अफजलखानकी कब्रके पासका निर्माणकार्य अवैध है । अतः वहां संग्रहालय निर्माण करनेकी मांग स्वीकार नहीं की जाएगी । उसे उचित मानकर उच्च न्यायालयके न्यायमूर्ति अभय ओक तथा न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णीने ९ सितम्बरको संग्रहालयका निर्माणकार्य करनेकी मांग अस्वीकार कर दी है । (हिन्दू हितका विचार कर धर्माभिमानी मांग करनेवाले समस्त हिन्दू मोर्चाके कार्याध्यक्ष श्री. मिलिंद एकबोटेका अभिनंदन ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
फरीद डावरेने याचिकाद्वारा यह मांग की थी कि अफजलखान कब्र सभीके लिए मुक्त कर वहां संग्रहालयका निर्माण करें । इस कब्रपर राज्यशासनके आदेशसे प्रतिबंध लगाया गया था । राज्यशासनके इस आदेशके सन्दर्भमें डावरेने तांत्रिक कारण बताकर अवैध सिद्ध किया था; इसलिए न्यायालयने राज्यशासनको यह सूचित किया था कि यह आदेश हटाकर वैध आदेश देने चाहिए । उसके लिए १५ सितम्बरतककी कालावधि दी गई थी । श्री. एकबोटेने डावरेकी याचिकामें हस्तक्षेप करनेवाली याचिका प्रविष्ट की थी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात