लाहौर : पाकिस्तान में गैर मुस्लिमो (हिन्दुआें) के साथ हो रहे भेदभाव और उनकी वर्तमान स्थिति पाकिस्तान में मानवाधिकार व बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली ‘सोसायटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ द राइट्स ऑफ चाइल्ड’ (SPARC) की रिपोर्ट ने जो आंकडे दिए है वो काफी भयावक है।
SPARC की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या में तीन से चार प्रतिशत संख्याबल के बावजूद अल्पसंख्यक सरकारी नीतियों में दरकिनार कर दिए जाते हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाने वाले पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर और केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री शाहबाज भट्टी की पिछले वर्ष हत्या कर दी गई। इन लोगों ने पाकिस्तान में विवादित ईशनिंदा कानून में भी संशोधन की वकालत की थी।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की २००० औरतों और लडकियों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया है। इनमे हिंदू, सिख, ईसाई एवं अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदाय की लडकिया है। इसके लिए बलात्कार, यातना और अपहरण को हथियार बनाया गया। जबरन धर्म परिवर्तन के अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के १६१ लोगों को ईशनिंदा कानून में फंसाया गया और मौत की सजा सुनाई गर्इ। संस्था के द्वारा जारी किए गए आंकडे २०११ के बताये जा रहें हैं।
SPARC की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में बच्चों के साथ यौन अपराध में भी तेजी से वृद्धि हुई है। इनमें से अधिकतर मामलों में नजदीकी लोगों या पुलिस अधिकारियों का हाथ पाया गया। फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के यौन शोषण के ६० प्रतिशत मामलों में पुलिस अधिकारी शामिल पाए गए।
स्त्रोत : रिव्होल्टप्रेस हिन्दी