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श्री गणेशोत्सवको आया श्री गणेशका वीभत्स स्वरूप !

आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६

हिन्दूओंमें धर्मशिक्षाका अभाव किस प्रकार है, गणेशोत्सवके निमित्त प्रकाशित इन छायाचित्रोंद्वारा यह स्पष्ट होता है !


कुछ गणेशोत्सव मंडलोंने अत्यंत अनुचित मूर्तियोंका निर्माण किया है, तो कुछ लोग पृथक पद्धतिसे उत्सव मनाकर पापके हिस्सेदार बन रहे हैं ।

१. कर्णावती (अहमदाबाद) के एक युवकने श्री गणेशका अनादर होगा, इस पद्धतिकी केशरचना की है । (साथमें छायाचित्र भी प्रकाशित किया है ।)

२. कोल्हापुरमें सामूहिक गणेशोत्सवमें श्री गणेशका तीव्र अनादर

२ अ. यहांके साईबाबा ग्रुपकी साईबाबाके रूपमें गणेशमूर्र्ति
२ आ. श्री शाहू विजयी गंगावेस तालीम मंडलकी बाळूमामा रूपमें गणेशमूर्र्ति
२ इ. श्री गणेश स्वराज्य व्यापारी मित्र मंडलकी शिवरूपकी गणेशमूर्ति
२ ई. भगवा ग्रुप मित्र मंडल, सुतारवाडाकी कालियामर्दन करनेवाली गणेशमूर्ति
२ उ. टेक्सास ग्रुप, शास्त्रीनगरकी एंग्री बर्ड रूपकी गणेशमूर्ति
२ ऊ. सत्यनारायण युवक मंडल, सोमवार पेठकी रामावतारमें  १६ फीटकी गणेशमूर्ति
२ ए. भवानी मित्र मंडलकी ‘रंकाळा बचाए’ ऐसा आवाहन करनेवाली गणेशमूर्ति

यदि धर्मशास्त्रानुसार श्री गणेशमूर्तिका पूजन किया गया, तो श्रद्धालुओंको चैतन्यकी प्राप्ति होकर उसका लाभ भी होता है । मनचाही श्री गणेशमूर्ति निर्माण करना, यह श्री गणेशका अनादर ही है ! यदि यह अनादर रोकनेका प्रयास सभी करेंगे, तो ही श्री गणेशकी कृपा होगी !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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