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भोर (जनपद पुणे) के श्री मांढरदेवी घाटी में एक धर्माभिमानी ने देवताओंका हो रहा अनादर रोका !

‘जन्महिन्दु’ओंको धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है, यह इस घटना से ध्यान में आता है !

एक स्मारक के आस पास, बिखरे पड़े देवताओंके चित्र
एक स्मारक के आस पास, बिखरे पड़े देवताओंके चित्र

भोर-पुणे : यहां के श्री मांढरदेवी घाटी मार्ग पर एक छोटा सा मंदिर है। श्रद्धालुओंने इस मंदिर के सामने विविध देवताओंके चित्रों को उनके चौकट के साथ ही तितरबितर कर रखा था। (इस से यह सिद्ध होता है कि ‘जन्महिन्दु’ओंको धर्मशिक्षा की कितनी अधिक आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

यह बात हिन्दू जनजागृति समिति के प्रा. विठ्ठल जाधव के ध्यान में आई। उसके उपरांत उन्होंने उन सभी देवताओंकी चित्रोंको चौकट सहित एकत्र कर उनका अग्निविसर्जन कर देवताओंका अनादर रोका ! (धर्महानि रोकने हेतु इस प्रकार तत्परता से कृत्य करनेवाले समिति के प्रा. विठ्ठल जाधव ही, ‘हिन्दू धर्म’ की शक्ति हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

बिखरे हुए देवताओंके चित्र उठाते हुए समिति के श्री. विठ्ठल जाधव
बिखरे हुए देवताओंके चित्र उठाते हुए समिति के श्री. विठ्ठल जाधव

इस मंदिर के विषय में घाटी की तलहटी में स्थित गांव के नागरिकोंसे श्री. जाधव ने पूछताछ की। तब उन्हें ज्ञात हुआ कि यह मंदिर किसी देवता का नहीं है, अपितु घाटी का काम चालू होने के समय वहां काम करनेवाले एक कर्मचारी की मृत्यु हुई थी, उसके स्मरण में उस कर्मचारी की याद में मंदिर का निर्माण किया गया था, ऐसी धक्कादायी जानकारी मिली ! अनेक हिन्दू श्रद्धालु, यह मंदिर देवता का है, ऐसा मानकर वहां दर्शन करने जाते हैं। (इस से देवता एवं धर्म के विषय में ‘जन्महिन्दु’ओंकी अज्ञानता ही प्रकट होती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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