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जिहादी आतंकवादी, बांगलादेसी घुसपैंठ एवं संभाजी ब्रिगेडपर कार्यवाही करें !

शुद्ध भाद्रपद कृ. ४, कलियुग वर्ष ५११४

पुणेकी बमविस्फोट शृंखला, आसामके हिंदूओंपर हो रहे अत्याचार एवं वाघ्या कुत्तेका पुतला उखाडनेके प्रकरणमें आंदोलन

हिंदू जनजागृति समितिकी संतप्त प्रदर्शनोंद्वारा शासनकी ओर मांग


पनवेलमें आंदोलन करते हुए राष्ट्राभिमानी हिंदू

     पनवेल, ४ अगस्त (संवाददाता) – हिंदू जनजागृति समितिद्वारा शुक्रवारको पनवेलके शिवाजी चौकमें सायंकालमें ५.३० से ७.०० की कालावधिमें संतप्त प्रदर्शन किए गए, जिसमें समितिने केंद्रशासन तथा महाराष्ट्र शासनकी ओर मांग की कि, जर्मन बेकरी बमविस्फोटोंके पश्चात पुणेमें अतिसंवेदनशील स्थानोंपर शृंखलामे बमविस्फोट कर जनताका जीवन संकटमें लानेवाले जिहादी आतंकवादी, आसामके २ लक्ष बोडो हिंदूओंको विस्थापित होनेके लिए विवश करनेवाले बांगलादेसी मुसलमान घुसपैंठ एवं महाराष्ट्रके रायगढ किलेपर वाघ्या कुत्तेका पुतला उखाडकर सांस्कृतिक आतंकवाद फैलानेवाली ‘संभाजी ब्रिगेड’पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । इस समय आंदोलनमें हिंदू जनजागृति समितिके मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरके साथ समिति तथा सनातन संस्थाके कार्यकर्ता हाथमें विरोधके फलक लेकर सहभागी हुए थे । इस समय शासनके विरोधमें घोषणाएं दी गई । इसी प्रकारके आंदोलन महाराष्ट्रके अन्य जनपदोंमें एवं कुछ राज्योंमें समितिकी ओरसे आयोजित किए जा रहे हैं ।

     पुणे बमविस्फोटके पीछे ‘इंडियन मुजाहिदीन’ इस आतंकवादी संगठनका हाथ होनेका प्राथमिक अनुमान है, तथा इसीके द्वारा हिंदूओंके धार्मिक त्योहारोंके समय बमविस्फोट करनेकी योजनासे संबंधित जानकारी प्राप्त हुई है । पुणेमें हुए बमविस्फोटोंके पीछे महंमद अफजल, अजमल कसाब एवं अबु जिंदाल जैसे आतंकवादियोंको बिर्याणी खिलाकर अतिथ्य जतानेवाले शासनकी षंढ नीति कारणभूत है । इसी कारण आतंवादियोंका साहस बढ रहा है । एक ओर केंद्रशासनद्वारा बांगलादेसी घुसपैठियोंकी ओर निरंतर किए गए अनदेखीके कारण कश्मीरके हिंदूओंसमान आसामके हिंदूओंपर अपने ही देशमें विस्थापित होनेकी दुःस्थिति निर्माण हुर्ई है ।  इसके लिए केंद्रशासनकी षंढता ही कारणभूत है । आसामका कश्मीर बनानेकी इच्छा रखनेवाले धर्मांध बांगलादेसी घुसपैठियोंको देशसे बाहर निकालो ऐसी मांग होनेका श्री. वटकरद्वारा बताया गया है ।

     उन्होंने आगे कहा कि संभाजी ब्रिगेडद्वारा वाघ्या कुत्तेका पुतला उखाडनेकी यह पहली ही घटना नहीं है । इसके पूर्व पुणेकी ‘भांडारकर प्राच्य विद्या इस्टिट्यूट’ तोडना, पुणेके लाल महालसे दादोजी कोंडदेवका पुतला हटाना, ब्राह्मणोंको जिवित मारनेका आवाहन करना ऐसे अनेक हिंसक तथा समाजमें उपद्रव मचानेवाले कृत्य उन्होंने किए हैं । महाराष्ट्रका शासन ही इस तालिबानी वृत्तिको प्रोत्साहित कर उसे बढावा देनेका पाप कर रहा है । अतः केंद्रशासनको ही इस षड्यंत्रको नष्ट करना आवश्यक है ।

क्षणिकाएं –

१. प्रदर्शनमें ५० से भी अधिक व्यक्ति सहभागी हुए थे ।

२. वहांसे जानेवाले नागरिक उत्सुकतासे प्रदर्शनके स्थानपर लगाए फलक पढ रहे थे ।

३. कुछ वृद्ध भी प्रदर्शनमें सहभागी होकर घोषणाएं दे रहे थे ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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