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‘क्या भारत केवल हिंदुओं के लिए है ?’ : न्यायालय

एड्स जनजागृतीके कार्यक्रम मे हनुमान चालिसा ही क्यों ?, कुरआन, बायबल अथवा अन्य धार्मिक साहित्योंका कथन क्यों नहीं ? – सम्पादक, हिन्दूजागृति

नई देहली : एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नागपुर न्यायपीठ ने मंगलवार को एड्स जागरूकता कार्यक्रम में हनुमान चालीसा का पाठ करने की योजना पर आपत्ति जतार्इ । एनएमसी यह कार्यक्रम गुरुवार को पोद्दारेश्वर राम मंदिर ट्रस्ट के साथ मिलकर करने वाला है ।

सुनवाई के समय न्यायाधीश भूषण गवई और न्यायाधीश स्वप्न जोशी की डिवीजन न्यायपीठ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि, केवल हनुमान चालीसा का पाठ क्यों ? कुरान, बाइबिल या दूसरे धर्मग्रंथों का पाठ क्यों नहीं ?, एड्स जागरूकता कार्यक्रम और हनुमान चालीसा के पाठ में क्या संबंध है ?, क्या केवल हिंदुओं को एड्स होता है ?, क्या इस रोग को समाप्त करने का एकमात्र इलाज हनुमान चालीसा का पाठ है ?

न्यायपीठ ने कहा कि, यदि लोग इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आ सकते हैं, तो वे कुरान और बाइबिल पढने के लिए भी आ सकते हैं । जजों ने पूर्व पार्षद जनार्दन मून की ओर से दाखिल पीआईएल को तब डिस्पोज कर दिया जब एनएमसी और कार्यक्रम संयोजक दयाशंकर तिवारी ने कहा कि, वे एड्स जागरूकता कार्यक्रम और हनुमान चालीसा के पाठ को अलग-अलग आयोजित करेंगे । दोनों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि, मंच और स्थल का खर्च वे दोनों आयोजनों के लिए अलग-अलग देंगे । तिवारी एनएमसी में भाजपा के नेता हैं ।

संदर्भ : पत्रिका

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