आश्विन कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
-
कोई भी ऐसा विषय, जो सुन्नी इस्लाम के खिलाफ हो, को पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया है
-
ईसाई धर्म और शिया इस्लाम की शिक्षा पर भी बैन
-
नए पाठ्यक्रम के अनुसार, "बच्चों को ऐसी शिक्षा दो कि वो अल्लाह और इस्लाम के दुश्मनों को हरा सकें।"
![]() |
बगदाद (इराक): कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस के कब्जे वाले मोसुल शहर में स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए हैं। इस्लामिक स्टेट के फरमान के बाद स्कूलों में इतिहास, साहित्य, कला, संगीत और व्यक्तित्व विकास संबंधित विषयों पर बैन लगा दिया गया है।
इस्लामिक स्टेट शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक दस्तावेज में इन प्रतिबंधों का जिक्र है। एक ३० वर्षीय धार्मिक विद्वान की अगुवाई में इसे तैयार किया गया है। इसमें निर्देश दिए गए हैं कि सभी शिक्षक, नए शिक्षा सत्र के लिए स्कूलों में लौट आएं। हालांकि, उन्हें शरिया नियमों को ध्यान में रखते हुए पढ़ाने का आदेश दिया गया है।
कोई भी ऐसा विषय, जो सुन्नी इस्लाम के खिलाफ हो, को पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। ईसाई धर्म और शिया इस्लाम की शिक्षा पर भी बैन लगाया गया है। संगठन ने सभी ईसाई स्कूलों के नाम बदलने का आदेश दिया है।
चूंकि, खिलाफत के अनुसार, इस्लामिक स्टेट में किसी तरह की सीमाओं को मान्यता नहीं है, इसलिए राष्ट्रीयता संबंधित नियम-कायदे मानने वालों को काफिर माना जाएगा। इराक के इतिहास, साहित्य और संस्कृति से जुड़ी किसी भी चीज की शिक्षा को गैर-इस्लामी करार दिया गया है। इसके अलावा गैर-धार्मिक गीत गाना ईशनिंदा माना जाएगा।
इस्लामिक स्टेट के नए शैक्षिक नियमों में विज्ञान की पढ़ाई की छूट दी गई है। हालांकि, अगर विज्ञान की पढ़ाई का कोई भी तर्क इस्लाम के खिलाफ होगा, तो इसे नहीं पढ़ाया जाएगा।
नए पाठ्यक्रम के अनुसार, "बच्चों को ऐसी शिक्षा दो कि वो अल्लाह और इस्लाम के दुश्मनों को हरा सकें।"
स्थानीय न्यूज वेबसाइट्स के अनुसार, इस्लामिक स्टेट के नए पाठ्यक्रम का विरोध करते हुए कई परिजनों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से इंकार किया है। स्थानीय निवासी अबु मोहम्मद ने बताया, "मैं गारंटी देता हूं कि मोसुल को कोई भी परिजन, अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेगा। आतंकियों का नया पाठ्यक्रम सिर्फ जहर भरने का काम करेगा।"
इस्लामिक स्टेट ने यह भी कहा कि नियम न मानने वाले शिक्षकों और बच्चों को दंडित किया जाएगा।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर