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श्री क्षेत्र शनिशिंगनापुर में संभाव्य भगदड का संकट टालने हेतु ही शनिमंदिर में वेदी पर प्रवेश नहीं – मुख्यमंत्री

श्री क्षेत्र शनिशिंगनापुर में श्री शनिदेव की वेदी पर महिलाओंको प्रवेश का प्रकरण

शनैश्वर देवस्थान समिति पर कार्रवाई करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता, मुख्यमंत्री का स्पष्ट वक्तव्य

DevendraFadnavis

मुंबई : श्री क्षेत्र शनिशिंगनापुर में वर्ष २०११ में देवस्थान समितिद्वारा ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है कि, शनि मंदिर में सभी स्त्री-पुरुषोंके लिए प्रवेश खुला है किंतु वेदी प्रवेश पर प्रतिबंध है !

यदि वेदी पर भीड हुई, तो संभाव्य भगदड का संकट टालने हेतु शनिमंदिर में वेदी पर प्रवेश, प्रतिबंधित किया गया है। इसलिए शनैश्वर देवस्थान समिति पर कार्रवाई करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता, मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस ने अपने उत्तर में इसका स्पष्ट उल्लेख किया है !

इस संदर्भ में राष्ट्रवादी कांग्रेस की विधायक श्रीमती विद्या चौहान, सर्वश्री हेमंत टकले, आनंद ठाकुर, नरेंद्र पाटिल एवं किरण पावसकर ने तारांकित प्रश्न पूछा था।

श्रीमती विद्या चौहान ने इस संदर्भ में लिखित प्रश्न पूछा था कि, ‘शबरीमला मंदिर के प्रवेश के संदर्भ में ११ जनवरी २०१६ को उच्च न्यायालयद्वारा याचिका की सुनवाई के अवसर पर राज्यसंविधान में ऐसा अधिकार दिया नहीं है, तो प्रवेश रोकना असंभव होगा, ऐसा आदेश दिया गया था। अतः शनैश्वर देवस्थान समिति पर क्या, शासन कोई कार्रवाई करेगा ?’

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री श्री. फडणवीस ने लिखित उत्तर देते हुए कहा कि ….

१. न्यासी मंडलद्वारा ९ फरवरी २०११ को ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है कि, श्री शनिदेव की वेदी पर स्त्री एवं पुरुषोंको जाने की अनुमति नहीं है।

२. ऐसा प्रस्ताव सम्मत करने का उद्देश्य यह है कि, भक्तोंद्वारा भीगे वस्त्र से दर्शन करते समय वे शनिमूर्ति को दोनों हाथोंसे स्पर्श कर पूरा बोझ मूर्ति पर डालते हैं तथा साथ में लाई पूजा सामग्री लोहे के नाल, यंत्र, अंगूठी आदि वस्तुएं शनिमूर्ति पर घिसते हैं। इसलिए मूर्ति को भारी मात्रा में क्षति पहूंच रही है।

३. भक्त अधिक समय तक मूर्ति के पास रुकते हैं। इसलिए वेदी पर भीड होती है एवं जो भक्त वेदी के नीचे से दर्शन लेना चाहते हैं, उन्हें मूर्ति दिखाई नहीं देती। उसी प्रकार शनिमूर्ति पर तैलाभिषेक करने से वेदी की फर्श पर तैल गिरा होता है, जिस से पांव फिसलकर भक्तोंके गिरने की संभावना अधिक होती है।

४. न्यासी मंडलद्वारा ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है कि, इस प्रकार से होनेवाली संभाव्य भगदड को रोकने हेतु एवं सभी को सुगमता से दर्शन करना सुविधाजनक हो, इसलिए सभी भक्तोंको वेदी के नीचे से ही दर्शन कर शनिदेव की पूजा हेतु न्यास के अधिकृत पुरोहित वेदी पर रुक कर भक्तोंद्वारा लाई गई तैल, तथा अन्य पूजा सामग्री उनसे ले कर मूर्ति को समर्पित कर सकें !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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