उज्जैन सिंहस्थपर्व – २०१६
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शोभायात्रा का स्वागत !
उज्जैन (मध्य प्रदेश) : यहां होनेवाले सिंहस्थपर्व के अवसर पर ५ अप्रैल को पंचदशनाम जुना आखाडा (दत्त आखाडा) की ओर से नीलगंगा से रामघाट मार्ग से शोभायात्रा निकाली गई थी।
इस शोभायात्रा में जुना आखाडा के प.पू. अवधेशानंदगिरीजी महाराज, श्री महंत देव्यागिरी, गोल्डनबाबा, महामंडलेश्वर पायलटबाबा, महामंडलेश्वर स्वामी कपिलपुरी महाराज, महामंडलेश्वर श्री श्री श्री १००८ स्वामी राजराजेश्वरानंदगिरी महाराज एवं श्रीकाशीसुमेरू पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अनंत विभूषित स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज एवं अन्य अनेक संतों की वंदनीय उपस्थिति थी।
स्थानीय श्रद्धालु, विविध समाज, साथ ही सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शोभायात्रा का स्वागत एवं औक्षण किया गया।
इस सुवर्ण अवसर की कुछ चित्रात्मक अंश . . .
![पेशवाई का स्वागत, शंखनाद से करते हुए सनातन के साधक](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2016/04/USK_Peshwai_05-Apr-2016_20.jpg)
![पेशवाई में उपस्थित रहें वंदनीय संतोंका औक्षण करती हुई सनातन की साधिकां](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2016/04/USK_Peshwai_05-Apr-2016_19.jpg)
![वंदनीय संतोंके स्वागत हेतू सनातनद्वारा लगाये गये वस्त्रफलक](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2016/04/USK_Peshwai_05-Apr-2016_4.jpg)
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की भी वंदनीय उपस्थिति रही।
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति ने शोभायात्रा के स्वागत के लिए उज्जैन शहर स्थित प्रमुख मार्ग चामुंडामाता चौक से देवास गेट परिसर में विविध स्थानोंपर ‘हार्दिक स्वागत’ के वस्त्रफलक लगाए थे, तो कुछ स्थानोंपर साधक, साधु-संतोंके स्वागत के लिए हाथ में वस्त्रफलक ले कर खडे थे, शोभायात्रा में आनेवाले संतोंकी आरती उतारकर उनका पूजन किया गया तथा संतोंके आगमन के समय शंखनाद एवं पुष्पवृष्टि भी की गई !
शोभायात्रा में सम्मिलित अनेक संतोंने गंभीरतापूर्वक ध्यान देकर साधकोंपर पुष्पवृष्टि कर तथा माला एवं प्रसाद दे कर आशीर्वाद दिए। ये संत साधकोंको देखकर स्मितहास्य कर प्रतिसाद दे रहे थे।
क्षणचित्र
१. सनातनद्वारा लगाए गए वस्त्रफलक सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। अनेक लोगोंने स्मरणपूर्वक फलकोंके छायाचित्र निकाले।
२. अनेक ज्येष्ठ साधक हाथ में वस्त्रफलक लेकर खडे थे, उस समय युवक फलक लगाने में उनकी सहायता कर रहे थे। साथ ही वस्त्रफलक ले कर खडे साधकोंको लोग स्वयंप्रेरणा से पानी ला कर दे रहे थे।
३. पुलिसकर्मी श्रद्धालुओंको पीछे हटा रहे थे; परंतु फलक पकडे साधकोंको उन्होंने कुछ भी नहीं कहा अथवा पीछे भी नहीं हटाया।
४. एक साधु ने सनातन संस्था के फलक देख कर बताया कि, मैंने मेरे भ्रमणभाष संच में सनातन पंचांग का एन्ड्रॉइड संस्करण डाऊनलोड कर लिया है तथा मैं उसे प्रतिदिन देखता हूं और उसके कारण मुझे प्रतिदिन सनातन का स्मरण होता है।
५. प.पू. अवधेशानंद गिरीजी महाराज के आशीर्वाद लेने हेतु अनेक श्रद्धालु सनातनद्वारा लगाए गए फलक के सामने आ कर खडे थे। महाराज को नमस्कार करने के पश्चात, महाराज ने सनातन के फलक की ओर उंगली दिखाकर, मैं एवं फलक एक ही हैं एवं संघटित हैं, ऐसा संकेत कर यह सभी को बताया। तदुपरांत साधकोंकी ओर देखकर उन्होंने आनंद भी व्यक्त किया।
अनुभूतियां
१. आधे किलोमीटर के परिसर में फलक लगाए गए थे। फलक लगाने के पश्चात वहां के पूर्ण वातावरण में परिवर्तन हो कर साधकोंको अच्छा प्रतीत हो रहा था।
२. हाथ में फलक पकडकर ग्रामदेवता श्री महाकालेश्वर देवता को प्रार्थना करने पर साधकोंको शक्ति और साथ ही उत्साह प्रतीत हो रहा था।
३. मुझे मधुमेह का कष्ट है, उससे मुझे भूख लगने पर बीच-बीच में खाना पडता है एवं मूत्रविसर्जन के लिए जाना पडता है; किंतु ५ घंटोंतक हाथ में फलक पकडने की सेवा करते समय मुझे उपरोक्त दोनों कष्ट नहीं हुए। – श्री. आप्पासाहेब आनंदा सांगोलकर, पंढरपुर (जनपद सोलापुर)
४. हम जब वस्त्रफलक बांध रहे थे, तब वो सुचारु रूप से लग नहीं रहा था। उसके कारण श्रद्धालु बता रहे थे कि, हमें यह फलक पढने नहीं आ रहा है, उसे सीधा करें। उतने में एक व्यक्ति तार लेकर वहां आया तथा उसने फलक को ऊपर बांध दिया। – डॉ. बाबूराव लक्ष्मण कडूकर, गडहिंग्लज, कोल्हापुर
५. एक दत्त उपासक संत जी का औक्षण करने पर उन्होंने साधकोंपर पृष्पवृष्टि की। उस समय अचानक देवताओंका अस्तित्व प्रतीत हो कर अलग सुगंध आ रहा था। – श्रीमती स्मिता कुलकर्णी, उज्जैन, मध्य प्रदेश
(जहां भाव वहां ईश्वर, इस तत्त्व के अनुसार ये अनुभूतियां साधक एवं कार्यकर्ताओंको आई हैं, वे सभी को आएंगी, ही ऐसा नहीं है। – संपादक)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात