अंतरराष्ट्रीय जर्नल सुरक्षा चिंतन में प्रकाशित शोध पत्र में डॉ. संजय कुमार ने कहा है कि, चीन ने दक्षिणी सागर में छोटे-बडे लगभग २५० द्वीप पर अपना नियंत्रण कर लिया है जिससे भारत और जापान चिंतित हैं । समुद्री सीमा विस्तार और अतिक्रमण को लेकर चीन ने दक्षिण एशिया के देशों के माथे पर चिंता उपस्थित कर दी हैं । डॉ. संजय मेरठ कॉलेज के डिफेंस स्टडी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर है, जिन्होंने अपने शोध पत्र में समुद्र में चीन के बढते वर्चस्व को रेखांकित किया है ।
नेवी और अन्य सक्षम अधिकारियों के इनपुट के आधार पर यह शोध पत्र तैयार किया गया है । १४ से १६ अप्रैल तक मुंबई में मैरीन समिट में इसी माह इस शोध पत्र की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें समुद्र से जुडे व्यापारी, निवेशक, सैन्य अधिकारी, रिसर्चर और शिक्षाविद् हिस्सा लेंगे ।
अब यह द्वीप पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में हैं । इन द्वीपों का कुल क्षेत्रफल १५ किमी है । कई पर पोर्ट भी बना दिए गए हैं । इस कारण से दक्षिण एशिया के देश भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड, जापान, म्यांमार और सिंगापुर चिंतित हैं । नियंत्रण इस प्रकार किया गया है कि, यह द्वीप उक्त देशों की सीमा के चारों और हैं । ड्रैगन सुनियोजित ढंग से अपनी सीमा का विस्तार कर रहा है ।
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार समुद्र के संदर्भ में जहां तक देश का नियंत्रण है, उससे २०० मील आगे तक देश का क्षेत्र माना जाएगा । डॉ. संजय का कहना है, चीन के इसमें दो बडे हित छिपे हैं । पहला द्वीपों पर खनिजों का भंडार है । अब यह चीन की संपदा हो गए है । दूसरा भविष्य में वह पडोसी देशों से व्यापार में चुंगी वसूल सकता है ।
दुनिया में ९५ प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से ही होता है । शोध पत्र में सुझाव दिया गया है कि, दक्षिण एशिया के देशों को द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर करना होगा । भारत और जापान के कंधों पर इसकी उत्तरदायित्व है । दोनों देशों को ऐसे कदम उठाने होंगे कि दक्षिण एशिया के राष्ट्रों के हितों पर इसका प्रभाव न पडे ।
संदर्भ : रिव्होल्ट प्रेस