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हम स्वयं कितना धर्माचरण कर रहे हैं, यह हिंदू देखें ! – पू. चारुदत्त पिंगळेजी

शुद्ध भाद्रपद कृ. ५, कलियुग वर्ष ५११४

कतरास (झारखंड) में आर्य समाजकी ओरसे संम्मीलन


बार्इं ओर आचार्य बलदेवजीका सम्मान करते हुए हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

     कतरास (झारखंड) – कतरासमें आर्य समाज तथा आर्य प्रतिनिधि समाजकी ओरसे आयोजित संम्मीलनमें व्याख्यान एवं प्रवचनोंका आयोजन किया था । अंतरराष्ट्रीय आर्य समाजके उपप्रधान घोषित होनेके उपरांत पहली बार ही कतरासमें हो रहे आर्य समाजके कार्यक्रममें सहभागी होनेवाले आचार्य बलदेवजीका सम्मान हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीद्वारा शाल, श्रीफल एवं सनातन-निर्मित ग्रंथ भेट देकर किया गया । इस अवसरपर पू. पिंगळेजीने उपस्थितोंको संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हिंदूओंका प्रबोधन करते समय हम स्वयं कितना धर्माचरण करते हैं, इसकी ओर ध्यान देना चाहिए ।’’

     इस सम्मीलनमें ‘लव्ह जिहाद’, सांप्रदायिक एवं लक्ष्यित हिंसा प्रतिबंधक विधेयक जैसे विविध विषयोंपर चर्चा की गई । इस सम्मीलनको २५० से भी अधिक धर्माभिमानियोंकी उपस्थिति थी । इस अवसरपर देहलीके आर्य प्रतिनिधि सभाके प्रधान एवं विख्यात राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता ब्रह्मचारी राज सिंह आचार्य, धनबादके शिक्षा विकास ट्रस्टके अध्यक्ष डॉ. पी. एन्. गुटगुटिया उपस्थित थे । संम्मीलनके आयोजक झारखंड प्रांत आर्य समाजके प्रधान श्री. भारत भूषण त्रिपाठी, तथा कतरास आर्य समाजके प्रधान श्री. रामावतार खेमका इनका इस सम्मीलनके आयोजनमें विशेष सहभाग रहा ।

कयपंजीद्वारा दीप्रज्वलनका शास्त्र ज्ञात होनेपर वैसा कृत्य करनेवाले आयोजक !

     पू. डॉ. पिंगळेजीद्वारा दीपप्रज्वलन कयपंजीसे करनेका शास्त्र बताया जानेपर सम्मीलनके आयोजकोंने सकारात्मक प्रतिसाद देकर वैसा कृत्य किया ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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