हिन्दुआेंकी प्रथा-परांपरा यह धर्मशास्त्रानुसार है, इसका निर्णय न्यायालय न लें, एेसी हिन्दुआेंकी अपेक्षा है ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध पर प्रश्न उठाए हैं। इस मंदिर में १० से ५० वर्ष की महिलाओं को प्रथा के अनुसार प्रवेश की अनुमति नहीं है।
न्यायालय ने इस व्यवस्था पर कहा है कि किस आधार पर महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया है। ईश्वर सर्वव्याप्त है। उनकी कोई भी पूजा कर सकता है। न्यायालय ने प्रश्न किया कि क्या परंपरा संविधान से ऊपर है।
इससे पहले जनवरी में सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने मंदिर में महिलाओं के प्रतिबन्ध पर आपत्ति जताई थी। सबरीमाला में महिलाओं के प्रतिबन्ध का यह मामला १० साल से न्यायालय में विचाराधीन है। यह प्रतिबंध केरल में ज्यादातर मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली संस्था त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने लगाया है।
स्त्राेत : राजस्थान पत्रिका