आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
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लखनऊ (उत्तरप्रदेश) – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का संगठन 'धर्म जागरण' करीब १००० लोगों को वापस हिंदू धर्म में लाने के लिए हर महीने ५० लाख रुपए खर्च कर रहा हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की 'घर वापसी' के अभियान में संगठन ईंधन में ही करीब ८ से १० लाख रुपए महीना खर्च देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से सांप्रदायिकता की चपेट में है।
धर्म जागरण के पश्चिमी यूपी के प्रभारी राजेश्वर सिंह का कहना है, 'घर वापसी के लिए एक परिवार पर करीब पांच हजार खर्च आता है। संगठन के १०० फुलटाइम कार्यकर्ता इलाकों में घूम-घूमकर हिंदू धर्म से दूसरे धर्मों में गए लोगों को बताते हैं कि इससे उनका क्या नुकसान हुआ है। इसके बाद वालंटियर उन्हें घर वापसी के लिए समझाते हैं।'
राजेश्वर का दावा है कि दूसरे धर्म के लोग हिंदू परिवार को धर्मांतरण कराने के लिए तीन करोड़ रुपए खर्च करते हैं। इस साल दिसंबर तक हमारा लक्ष्य २० हजार परिवारों की हिंदू धर्म में वापसी का है। धर्म जागरण की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विंग में तीन क्षेत्र ब्रज, मेरठ औऱ उत्तराखंड हैं, जहां साल भर संगठन के वालंटियर जागरुकता अभियान चलाकर अपने मकसद के लिए काम कर रहे हैं।
संघ देता है अभियान के लिए सालाना १५ लाख
शाहजहांपुर में संगठन के एक वालंटियर अजय सिंहा बताते हैं, ' एक परिवार जब दोबारा धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हो जाता है तो वालंटियर्स ही उनके एफिडेविट आदि का खर्च उठाते हैं।' राजेश्वर सिंह का कहना है कि हर महीने एफिडेविट पर करीब २००० हजार रुपए खर्च आया है। उनका कहना है कि घर वापसी से लिए 'शुद्धि यज्ञ' का भी आयोजन किया जाता है। यह दोबारा हिंदू धर्म में लौट रहे परिवार और वालंटियर के सहयोग के आयोजित किया जाता है। इस पर हर महीने जिलेवार करीब बीस हजार रुपए का खर्च आता है। इसके अलावा समाज उन्हें स्वीकार करें, इसके लिए एक समारोह का भी आयोजन किया जाता है।
मेरठ में संगठन के लिए काम कर रहे वालंटियर का कहना है कि संघ धर्म जागरण की एक विंग के लिए सालाना १२ से १५ लाख रुपए का बजट देता है। बाकी धन जिले में समुदाय के लोगों के सहयोग से जुटाया जाता है। संघ हर साल फंडिंग और काम-काज की समीक्षा भी करता है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर