भाजपा विधायक का बयान: मुस्लिमों के कारण आधा गाना पड़ता है ‘वंदे मातरम’ !

आश्विन कृष्ण पक्ष ३, कलियुग वर्ष ५११६

इंदौर (मध्यप्रदेश) –  गरबा पंडालों में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध की बात कहने वाली शहर की विधानसभा क्षेत्र क्रं. ३ की भाजपा विधायक उषा ठाकुर ने अब कहा है कि मुस्लिमों की वजह से ‘वंदे मातरम्…’ आधा ही गाना पड़ता है। उनके अनुसार इसमें मां दुर्गा का नाम भी आता है, लेकिन अल्पसंख्यक भाइयों का मन न दुखे, इसलिए दो ही छंद गाए जाते हैं, जबकि उसमें पांच छंद हैं। जब उनको वंदे मातरम् गाने में आपत्ति है तो साक्षात मां दुर्गा की प्रतिमा के आसपास गरबा कैसे कर सकते हैं? यदि अल्पसंख्यक गरबे में आना चाहें तो परिवार से मां, बहन या पत्नी को साथ लेकर आएं। उषा पहले भी ऐसे बयान देती रही हैं।

भाजपा विधायक उषा ठाकुर

कौन है ऊषा ठाकुर

४८ वर्षीय ठाकुर की छवि एक उग्र राष्ट्रवादी की नहीं है। पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक उन्हें 'दीदी' कहकर संबोधित करते हैं। ठाकुर बीजेपी की उपाध्यक्ष और सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की इंचार्ज हैं। ठाकुर ने १९८९  में सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय होना शुरू किया और संघ की इंदौर शाखा में बौद्धिक प्रमुख बनीं। एजुकेशन और इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएशन और एमफिल कर चुकीं उषा ठाकुर दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य रही हैं।

 

शादी नहीं की

उषा ठाकुर बताती हैं, "मैंने शादी नहीं करना का फैसला कर लिया था। बचपन से ही मैं चाहती थी कि मेरे परिवार का कोई सदस्य धर्म औऱ देश के लिए अपना जीवन लगाए। मेरे माता-पिता अंग्रेजी के शिक्षक रहे हैं। मैं अपने पांच भाई-बहनों में से एक हूं। रिटायरमेंट के बाद पिता ने गऊशाला शुरू की। हम इसे गायों का ओल्ड एज होम कहते हैं।'

म्युनिसिपल काउंसलर से शुरू किया राजनीतिक सफर 

उषा ठाकुर को १९९० में म्युनिसिपल काउंसलर बनने के चार पहले भगत सिंह के परिवार वालों ने एक कटार उपहार में दी थी। ठाकुर इसे अपनी जिंदगी का सबसे अहम् क्षण मानती हैं और सत्र के दौरान भी कटार लेकर ही विधानसभा जाती हैं।  
 
उषा ठाकुर कहती हैं, "मैं कटार को साथ लेकर खुद को काफी ताकतवर महसूस करती हूं। १९९४  में मैंने एक सस्ती और अच्छी बाइक खरीदी।" शहर की सौ भजन मंडलियों के साथ जुड़ीं ठाकुर शहर के अलग-अलग हिस्सों में सुंदरकांड आयोजित करती हैं। २००३ में ठाकुर इंदौर-१ क्षेत्र से और २०१३ में दूसरी बार इंदौर-३ सीट से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं। एफिडेविट के मुताबिक, वह बीजेपी की सबसे कम संपत्ति वाली विधायक हैं। उनकी कुल संपत्ति १.३७ लाख हैं।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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