आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
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मुंबई – चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीन दिवसीय भारत दौरे पर आए और दौरा खत्म करके वापस भी चले गए। उनके भारत दौरे के शुरू होने के पहले से ही इस बारे में बातें हो रही थीं कि चीन भारत में १०० बिलियन डॉलर तक का निवेश करने का मन बना चुका है।
जब इस तरह की बातें शुरू हुईं तो लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गईं। सबकी उम्मीदें को जिनपिंग ने पानी फेर दिया। सिर्फ २० बिलियन डॉलर के निवेश के साथ ही उन्होंने देश की सैंकड़ों बिलियन डॉलर की सारी उम्मीदों को ठेंगा दिखा डाला।
चीनी अधिकारी ने किया था दावा
हिंदुस्तान टाइम्स की खबरों के मुताबिक मुंबई में चीन के काउंसल जनरल की ओर से इस तरह की बातें कहीं गई थीं कि चीन आने वाले पांच वर्षों में भारत में १०० बिलियन डॉलर का निवेश कर सकता है। इस काउंसल जनरल की ओर से किए हुए दावों को उनके राष्ट्रपति जिनपिंग ने ही बेकार करार दे डाला।
२० बिलियन डॉलर के निवेश के साथ ही अब हर तरफ यह बातें होने लगी हैं कि आखिर ऐसी बातें क्यों हुई और क्यों चीन ने सिर्फ २० बिलियन डॉलर निवेश पर ही अपनी सहमति जताई है। वहीं अब मुंबई स्थित इसी काउंसल जनरल के सुर बदल गए हैं।
शिगूफे की वजह जापान !
जब इस मुद्दे पर इस काउंसल जनरल से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि १०० बिलियन डॉलर निवेश का आंकड़ा कभी भी हमारी ओर से कहा गया कोई आधिकारिक आंकड़ा था ही नहीं।
भारत में मौजूद विशेषज्ञों की मानें तो चीन कभी भी सैंकड़ों डॉलर का निवेश भारत में नहीं कर सकता है। वह सिर्फ जापान के ३५ बिलियन डॉलर के निवेश की वजह से भारत में निवेश का इच्छुक था।
१०० बिलियन डॉलर की बातें चीन के अधिकारी की ओर से सिर्फ इसलिए कही गई थीं ताकि भारत में जापान के ३५ बिलियन डॉलर के निवेश को लेकर जो भी बातें हो रही थीं, उस पर लगाम लग सके।
स्त्रोत : वन इंडिया