आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११६
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बगदाद – आईएसआईएस आतंकी बंधक बनाई गई लड़कियों के साथ बलात्कार करते हैं और 'सेक्स फॉर जिहाद' प्रोग्राम चलाते हैं। यह दावा सुरक्षा एजेंसियों का मुखबिर बन चुके आईएसआईएस के आतंकी रहे एक व्यक्ती ने किया है।
इस पूर्व आतंकी के मुताबिक, आईएसआईएस आतंकियों को बताया गया है कि अल्लाह ने उन्हें गैर-मुस्लिम बंधकों का रेप करने का अधिकार दिया है। आतंकियों के कब्जे में रेप का शिकार होने वाली कई लड़कियों की उम्र 10 साल से भी कम है। मुखबिर के अनुसार, सुसाइड मिशन की ट्रेनिंग ले रहे आतंकियों को बंधकों से अपनी शारीरिक आवश्यकताएं पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
पूर्व आतंकी ने आईएसआईएस के बारे में कुछ और चौंकाने वाले खुलासे किए
- इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से वादा किया गया जाता है कि अगर संगठन के लिए लड़ते हुए उनकी मौत हो जाती है तो जन्नत में उन्हें '72 हूरें' मिलेंगी।
- बंधक बनाई गई गैर-मुस्लिम लड़कियां यौन उत्पीड़न के लिए ही बनी हैं, क्योंकि अल्लाह भी ऐसा ही चाहता है।
- 'सेक्स फॉर जिहाद' कार्यक्रम के तहत लड़ाकों को अपना शरीर सौंपने वाली मुस्लिम महिलाओं को इनाम दिया जाता है। हालांकि, संगठन के कमांडर्स के सामने ही ज्यादातर महिलाओं को पेश किया जाता है।
खुद को शेर्को उमर बताने वाले मुखबिर ने बताया, "मैंने कई ऐसे विदेशी जिहादियों को देखा, जिन्हें सुसाइड स्क्वॉड में भर्ती किया गया। ऐसा नहीं कि वो कुछ खास थे या अल्लाह उन्हें चाहते थे, बल्कि ऐसा इसलिए क्योंकि वे इस्लामिक स्टेट के लिए किसी काम के नहीं थे।"
उसने बताया, "वे अरबी नहीं बोलते। वे अच्छे लड़ाके भी नहीं होते और न ही उनके पास कोई अनुभव होता है। 'जन्नत में हूर' का ख्वाब लेकर वो जिहाद में कूद रहे हैं। ऐसे लोग रेप कर ही सकते हैं। आखिरकार, उन्हें मरना ही है।"
धोखे से आईएसआईएस में शामिल
आईएसआईएस में रह चुके इराकी कुर्द उमर की असली पहचान सुरक्षा कारणों से छुपाई गई है। कुर्दिश पत्रकार रोज अहमद से उसने ये सब बातें साझा की।
Your Middle East में प्रकाशित इस इंटरव्यू में उमर ने बताया कि उसे धोखे में रखकर संगठन ज्वाइन करवाया गया था। उसे कहा गया था कि 'फ्री सीरियन आर्मी' में शामिल होकर वे सीरिया में राष्ट्रपति बशर असद से जनता को आजादी दिलवाएंगे।
उसने बताया कि हलाबजा में कुर्दिश समुदाय के कुछ लोगों ने तुर्की में उसकी बात करवाई। बाद में उसे सीरिया बॉर्डर पर स्थित ट्रेनिंग कैंप में भेजा गया। यहां आकर उसे पता चला कि वो इस्लामिक स्टेट के कैंप में है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े होने के कारण उमर को जंग पर नहीं भेजा गया, बल्कि उससे कम्युनिकेशन के और तकनीकी कार्य करवाए जाते थे।
उमर के मुताबिक, संगठन के बड़े लोग व कमांडर्स यह तय करते थे कि किस महिला बंधक के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ सोया जाए और उसका उत्पीड़न किया जाए।
एक घटना का जिक्र करते हुए उमर ने बताया, "अल रक्का में मेरे सामने एक ईसाई महिला के पति का गला काट दिया गया। मैंने देखा कि छह जिहादी ईसाई महिला और उसकी बच्ची को अपनी पत्नी बनाना चाहते थे। बच्ची की उम्र सिर्फ 12-13 साल थी। मैंने जिहादियों को बताया कि महिलाओं व बच्चों को उनकी मर्जी के बिना छूना इस्लाम के खिलाफ है, लेकिन उन्होंने मेरे मुंह पर बंदूक तान दी।"
उमर के अनुसार, इन्हीं कारणों के चलते उसने इस्लामिक स्टेट छोड़ने का फैसला किया।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर