हिन्दू अपराधियोंके साथ हुए भेदभाव के विरोध में लडनेवाले हिन्दू अधिवक्ता पर ही कार्रवाई करने की न्यायाधीश की चेतावनी !
यदि बांग्लादेश में एक हिन्दू अधिवक्ता की ऐसी स्थिती है, तो वहां के सर्वसाधारण हिंदुओंकी व्यथा का विचार ही न करें, तो अच्छा होगा !
ढाका : बांग्लादेश उच्च न्यायालय के विभागीय खंडपीठ के न्यायमूर्ति मोहम्मद रुहुल कुद्दसद्वारा हिंदुओंके न्यायिक अधिकारोंके लिए लडनेवाले बांग्लादेश के माईनॉरिटी वॉच के अधिवक्ता श्री. रविंद्र घोष को न्यायालय में चेतावनी देने की घटना ११ अप्रैल को घटी है।
अधिवक्ता श्री. घोष ने एक आर्थिक घटना में हिन्दू अपराधी श्री. नारायण चंद्र पॉल की ओर से खंडपीठ के सामने याचिका प्रविष्ट की थी।
श्री. नारायण चंद्र पॉल को अन्य ३ धर्मांध अपराधियोंके साथ एक परिवाद में बंदी बनाया गया था। एक ही अपराध के अंतर्गत कारागृह में बंदी बनाए गए ४ अपराधियों में से ३ धर्मांध अपराधियोंको उच्च न्यायालय ने जनवरी मास में निर्दोष मुक्त कर दिया था; किंतु हिन्दू अपराधी श्री. नारायण चंद्र पॉल को मुक्त नहीं किया !
इस याचिकाद्वारा यह मांग की गई कि, समान न्यायदान के आधार पर अल्पसंख्यंक अपराधी को निर्दोष मुक्त करना चाहिए। इस संदर्भ में न्यायालयद्वारा दिया गया निर्णय भेदभाव पूर्ण है। यह बात अधिवक्ता श्री. रविंद्र घोष ने न्यायाधीश के सामने स्पष्ट की।
‘भेदभाव’ शब्द सुनते ही संतप्त होकर न्यायमूर्ति मोहम्मद रुहुल कुद्दस ने अधिवक्ता श्री. घोष के विरोध में बार कौन्सिल की ओर परिवाद प्रविष्ट करने की चेतावनी दी !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात