पुणे महानगरपालिका का ये ‘धर्मांधाेंका तुष्टीकरण’ है, या ‘डर’ !
-
सूचि, पुणे के अवैध प्रार्थनास्थलों में ९९ प्रतिशत से भी अधिक केवल हिंदुओंके मंदिरोंसे भरी हुई हैं !
-
अवैध मस्जिदोंकी ओर अनदेखी तथा केवल मंदिरोंपर हथौडा, हिंदूद्वेषी प्रशासन का क्या, यही है सिद्धांत ?
पुणे : सर्वोच्च न्यायालयद्वारा अवैध प्रार्थनास्थलोंको गिराने के संदर्भ में दिए आदेश के आधार पर पुणे महानगरपालिका ने अपनी सीमा के अंतर्गत प्रार्थनास्थलोंको नियमित, निष्कासित अथवा स्थलांतरित करने के संदर्भ में एक प्रसिद्धि पत्रक निकाला है; परंतु मंदिर के पदाधिकारियोंद्वारा उसे केवल एक ही समाचार पत्र में प्रकाशित कर नागरिकोंको इस संदर्भ में अनभिज्ञ रखने का आरोप लगाया जा रहा है !
अवैध प्रार्थनास्थलों में ९९ प्रतिशत से भी अधिक केवल हिंदुओंके मंदिरोंसे भरी हुई यह सूची अत्यंत दोषपूर्ण, साथ ही मुसलमानोंका तुष्टीकरण करनेवाली है; इसलिए उसे तुरंत स्थगित करने की मांग की जा रही है ! (बहुमंजिला अवैध मस्जिदोंके संदर्भ में निद्रिस्त पालिका प्रशासन केवल हिंदुओंके मंदिरोंको ही अवैध ठहराकर उन पर कार्रवाई करने के लिए उतावला है, क्यों ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस संदर्भ में सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी मंगानेवाले श्री. सचिन समिंद्रे को इस प्रकरण में ‘संवेदनशून्यता’ का अनुभव हुआ !
शासकीय अधिकारी ने उन पर, आपसे इस जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है, यह आरोप लगाया। उस पर मुसलमानोंके भय से तथा हिंदुओंको लाठी दिखाने के उद्देश्य से इस प्रकार की सूची सिद्ध करने का आरोप लगाकर श्री. समिंद्रे ने उस अधिकारी को मुंहतोड उत्तर दिया !
श्री. समिंद्रे ने, इस प्रकरण में कानूनी सहायता के लिए : ०२० – २४४९११५१ / ९७६४२९४५४६ इन क्रमांकोंपर संपर्क करने का आवाहन किया है।
इस सूची के संदर्भ में, उठाई जा रही आपत्तियां ….
१. २१ मार्च को एक समाचारपत्र में एक प्रसिद्धि पत्रक प्रकाशित कर महानगरपालिका की ओर से तिलक मार्ग, भवानी पेठ, कसबा-विश्रामबाग वाडा एवं सहकारनगर क्षेत्रीय कार्यालयोंके अंतर्गत आनेवाले तथा नियमित होने, स्थलांतरित होने की संभावनावाले, साथ ही निष्कासित करने योग्य धार्मिक प्रार्थनास्थलोंकी सूची प्रकाशित की गई थी।
इस संदर्भ में यदि कोई आपत्ति अथवा सूचना हों तो उन्हें एक माह की अवधि में संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में देने के लिए कहा गया था; परंतु इस संदर्भ में पर्याप्त जागृति न किए जाने से अनेक मंदिरोंके पदाधिकारी इस संदर्भ में अनभिज्ञ थे। (संवेदनशील प्रकरणोंकी भी पर्याप्त जागृति न करनेवाला पालिका प्रशासन ! लोगों को अंधेरे में रखकर धार्मिक स्थलोंपर हथौडा मारने का यह पालिका प्रशासन का षड्यंत्र है, ऐसा यदि इसमें किसी को संदेह लगे, तो उसमें क्या गलत है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. इस सूची में निष्कासित करने योग्य ‘ब’ श्रेणी के अनेक मंदिर प्राचीन हैं, तथा वे मन्नतें पूरी करनेवाले हैं !
३. रविवार पेठ में, एक मार्ग के बिचोबिच होनेवाले सुभानशहा दरगाह गिराने के संदर्भ में न्यायालय का निर्णय होने पर भी वह दरगाह नियमित है, ऐसा दिखाया गया है ! (न्यायालय के निर्णय के पश्चात भी पालिका प्रशासन, मस्जिदोंपर कार्रवाई करने से क्यों डरता है ? साथ ही दरगाह को ‘नियमित’ दिखानेवाले संबंधित अधिकारियोंपर भी कार्रवाई होना अपेक्षित है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. ‘निष्कासन के लिए अयोग्य’ ऐसे, विश्रामबागवाडा क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आनेवाले १५८ मंदिरोंका समावेश ‘ब’ सूची में किया गया है। वास्तव में सभी क्षेत्रीय कार्यालयोंकी सीमा में ‘मार्ग के बीच में ही निर्माण किए गए’ एवं ‘यातायात के लिए बाधक’ इस प्रकार के अनेक दरगाह एवं मस्जिदें हैं; किंतु उनका समावेश ब सूची में नहीं किया गया है !
इस संदर्भ में धार्मिक स्थलोंकी सूची बनाते समय संबंधित धार्मिक स्थलोंके प्रतिनिधियोंको सम्मिलित कर तथा ‘वस्तुस्थिति दर्शक’ पंचनामे करने के पश्चात ही उनका वर्गीकरण किया जाए, ऐसी मांग की जा रही है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात