‘हिंदुद्रोही’ चंडीगढ प्रशासन ने आश्रम एवं मंदिर को गिराया !
देहली में, विविध चर्च पर हिंदुत्वनिष्ठोंद्वारा आक्रमण किए जाने के झूठे एवं आधारहीन आरोपोंको ‘ब्रेकिंग न्यूज’ के रूप में दिखानेवाले राष्ट्रीय स्तर के प्रसार माध्यम, अब इस प्रकरण पर चुप क्यों हैं ? क्या, यही उनकी ‘धर्मनिरपेक्षता’ ?
• अनेक महिला संत एवं साधिकाओंके रहने के लिए अब छत भी, नहीं रहा !
• महानगरपालिका से न्यायालय की रोक की प्रति, न मिलने का बहाना !
चंडीगढ : यहां के ४० वर्ष पुराने श्री नांगली आश्रम गिराने के निर्णय पर न्यायालय ने रोक लगाई थी, फिर भी चंडीगढ महानगरपालिका अधिकारियोंने आश्रम का भवन एवं वहां का शिवमंदिर गिरा दिया !
इस संदर्भ में महानगरपालिका के अधिकारियोंने स्थानीय न्यायालय को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि, आश्रम गिराने के पश्चात हमें रोक लगाए जाने की प्रति प्राप्त हुई ! (यह प्रकरण न्यायप्रविष्ट था, तो यह प्रशासन को ज्ञात था अथवा नहीं ? प्रशासन को कुछ भी कर मंदिर एवं आश्रम गिराना ही था, इससे यही सिद्ध होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस पर आश्रम के प्रमुख संत रामेश्वर नंद पुरीजी के अधिवक्ता ने महानगरपालिका पर आरोप लगाते हुए न्यायालय में बताया कि, आश्रम गिराने के निर्णय पर रोक लगाने के संबंध में, आश्रम गिराने से पहले ही हमने अधिकारियोंको कागजात दिखाए थे; परंतु उन्होंने उसकी ओर अनदेखी कर तथा न्यायालय की अवमानना कर आश्रम एवं वहां का शिवमंदिर भी गिराया। हमने इसका ध्वनिचित्रीकरण भी किया है ! (इससे चंडीगढ महानगरपालिका का ‘हिंदूद्रोह’ ही स्पष्ट दिखाई देता है ! अल्पसंख्यकोंके प्रार्थनास्थलोंके संदर्भ में महानगरपालिका के अधिकारी ऐसी भूमिका अपनाने का साहस, दिखा सकते ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस प्रकरण की अगली सुनवाई ११ मई को होनेवाली है।
१. आश्रम गिराने पर रोक लगाने के उपरांत भी आश्रम गिराए जाने के विरोध में याचिका कर्ता ने ‘न्यायालय के अवमान’ की याचिका प्रविष्ट की थी।
२. ४ अप्रैल को रोक लगाने संबंधी दिए आदेश में न्यायालय ने कहा था कि, महानगरपालिका को इस आश्रम को गिराने से पहले उसके वस्तुनिष्ठ कारण देने चाहिए तथा तबतक आश्रम को न गिराया जाए !
३. आश्रम गिराए जाने के कारण आश्रम में रहनेवाली महिला संत एवं साधिकाओंने यहां के मुख्य मार्ग पर अनेक दिनोंतक रास्ता रोको आंदोलन किया। पुलिस ने बलप्रयोग कर उनको वहां से हटा दिया !
क्या है, यह प्रकरण ?
४० वर्ष पूर्व एक साधक ने आश्रम को सेक्टर ५० की कॉलोनी क्र. ५ में स्थित यह भूमि अर्पण की थी। वहां आश्रम का निर्माण किया गया; परंतु २० वर्ष पूर्व इस कॉलोनी को चंडीगढ प्रशासन ने खरीद लिया। उस समय आश्रम प्रबंधन ने प्रशासन को नियम के अनुसार १ लाख ८० सहस्र रुपए दे कर आश्रम की भूमि आश्रम के अधिकार में रहे, ऐसी बिनती की थी !
४ अप्रैल को महानगरपालिकाद्वारा नांगली आश्रम तथा वहां स्थित शिवमंदिर जेसीबी की सहायता से गिराया गया। तब श्री शिवजी का शिवलिंग बिखरा पड़ा था। ‘चंडीगढ ट्रिब्यून’ इस जालस्थल के अनुसार आश्रम गिराए जाने से वहां पर अनेक वर्षोंसे रहनेवाली महिला संत एवं अनेक साधिकाओंको रहने के लिए अब, छत भी नहीं रहा !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात