उज्जैन कुंभमेला !
श्री पंचायती महानिर्वाण अखाडे की शोभायात्रा
स्थानीय समाचार पत्रिकाओं में श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के स्वामी नित्यानंद महाराज पर टीकात्मक लेखन
उज्जैन : यहां के सिंहस्थ का प्रथम राजयोगी (शाही) स्नान २२ अप्रैल को है। अतः उससे पूर्व सभी अखाडा तथा खालसा अपनी शोभायात्रा का आयोजन कर रहे हैं। इसमें श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे की शोभायात्रा अधिक लक्षवेधी सिद्ध हुई !
उसमें दक्षिण भारत के अखाडे के महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी नित्यानंद महाराज के ४७ देशोंसे आए विदेशी भक्त सम्मिलित हुए थे। उसमें ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, तैवान, फ़्रांस, अमरीका, मॉरिशस आदि देशोंके भक्त सम्मिलित हुए थे।
इस संदर्भ का समाचार प्रकाशित करते समय एक राष्ट्रीय समाचारपत्रिका ने ‘विवादोंके नित्यानंद को ४७ देशोंके भक्तोंका साथ’ इस प्रकार का समाचार प्रकाशित कर उनका अनादर किया।
साथ ही समाचार में ‘स्वामी नित्यानंद महाराज ५० दिन तक कारागृह में रहकर आए हैं’ ऐसा भी प्रकाशित किया है; किंतु उनके विरुद्ध प्रसिद्धिमाध्यमोंके झूठे समाचार प्रकाशित करने के कारण न्यायालयद्वारा प्रसिद्धिमाध्यमोंको इस बात का स्पष्टीकरण प्रकाशित करने के निर्देश देने की सूचना, छुपाकर रखी है ! (यह हिंदू संतोंको अपकीर्त करने का षडयंत्र रचे जाने का प्रमाण है ! हिंदुओंने ऐसे प्रसारमाध्यमोंका बहिष्कार करने की आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिकसनातन प्रभात)
कडी धूप में भी भक्तोंद्वारा उत्साहपूर्ण वातावरण में शोभायात्रा का स्वागत !
१८ अप्रैल को आयोजित शोभायात्रा के समय तपमान ३८ अंश था !
कडी धूप में भी भक्तोंने उत्साहपूर्ण वातावरण में शोभायात्रा का स्वागत किया। उस समय आयोजित शोभायात्रा में शारीरिक कष्ट के कारण श्री महंत प्रकाशपुरीजी महाराज व्हील चेअर पर सम्मिलित हुए थे। उस समय अनेक बँड पथक भी सम्मिलित हुए थे।
कुंभमेले में शक्तिप्रदर्शन का माध्यम बनी शोभायात्रा !
हिमालय तथा वन में उपासना करनेवाले पूरे देश के साधु-संत तथा उनके अखाडे कुंभमेले में प्रवेश करते समय शोभायात्रा का आयोजन करते हैं; किंतु शोभायात्रा का आयोजन करना, वर्तमान में अपनी शक्तिप्रदर्शन करने का साधन बनने जैसा दिखाई दे रहा है। कुछ अखाडे, खालसा तथा महामंडलेश्वर अपनी शक्ति, लोकप्रियता तथा वैभव प्रदर्शित करने हेतु विविध मार्गोंका उपयोग कर शोभायात्रा का आयोजन कर रहे हैं। महामंडलेश्वरोंके लिए पुष्पोंसे सजाए गए रथ के साथ सोने-चांदी का सिंहासन, हाथी, घोडे, बँड पथकोंकी संख्या अधिक बढाई जा रही है। देश के कोने-कोने से प्रसिद्ध बँड पथक मंगाए जाते हैं। कुछ अखाडोंने आदिवासी लोक-कलाकारोंका पथक आंमत्रित किया, तो कुछ अखाडोंने नागा साधुओंकी घुडसवारी आयोजित की !
इस संदर्भ में बोलते समय अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत श्री नरेंद्रगिरी महाराज ने कहा कि, शोभायात्रा की ओर ‘स्पर्धा’ की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। जिस अखाडे में जितने महामंडलेश्वर तथा साधु रहेंगे, उतनी मात्रा में अपनी विशेषताओंका प्रदर्शन करेंगे; किंतु यह स्पर्धा नहीं है !
श्रद्धालु लोग उसका दर्शन करने हेतु भीड करते हैं। इससे श्रद्धालुओंका उत्साह दुगना होता है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात