जिसके ३०० साधु राेज दौड़ते हैं १० किमी, पीते हैं ५ लीटर दूध
उज्जैन (मध्य प्रदेश) : सिंहस्थ का नाम आते ही यूं तो आध्यात्मिकता का एहसास होता है। पर यहां संतों का एक ऐसा अखाडा भी है, जहां पहलवानी भी पूजा है। श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अणि अखाड़े के कुछ महंत कुश्ती में दर्जनों पदक जीत चुके हैं, जबकि कई अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए दांव आजमा रहे हैं।
मंगलनाथ जोन में अणि अखाड़े का कैंप बना हुआ है। यहां करीब डेढ़ हजार साधु रह रहे हैं। इनमें ३०० पहलवान हैं। ये सभी सुबह तीन बजे उठते हैं। रोजाना १० किमी दौड़ते हैं। इसके बाद शुरू होता है दांव-पेच का खेल। सूर्योदय के साथ इनकी दिनचर्या बदलने लगती है। सबसे पहले सूर्य प्रणाम करते हैं, फिर नियमित साधना।
दोपहर में थोड़ा आराम। एक बार फिर कसरत और साधना शुरू हो जाती है। इस अखाड़े में जो दीक्षा लेता है, उसे व्यायाम करना अनिवार्य होता है। बिहार केसरी रह चुके महंत राजेशदास को कैंप के सभी संत पहलवान के नाम से जानते हैं। वह कहते हैं ‘मैं रोज १० किमी. दौड़ता हूं। ढाई सौ ग्राम बादाम खाता हूं व पांच लीटर दूध पीता हूं। सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ और तप-साधना करता हूं।’
वहीं, महंत बाबा सुमंतदास कहते हैं ‘हमारे अखाड़े के पहलवान कुश्ती में अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाना चाहते हैं।’ अखाड़े के सचिव महंत गौरी शंकरदास कहते हैं ‘संताें को व्यायाम और कुश्ती के दांव-पेच सिखाते वक्त मैं कोच की भूमिका में रहता हूं। अखाड़े के वर्तमान महंत धरमदास महाराज कई कुश्ती प्रतियोगिता जीत चुके हैं।
३० साल पहले शिमला में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में दूसरे नंबर पर आए थे। जबकि अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानदास महाराज उत्तर प्रदेश केसरी रह चुके हैं। ७५ साल के महंत हरिशंकर ३५ साल पहले भारत केसरी रह चुके हैं। वहीं, महंत मुरारी उत्तर प्रदेश केसरी रह चुके हैं।’
स्त्रोत : दैनिक भास्कर