Menu Close

साधन-सुविधाओं का अभाव तथा उष्णता के कारण, उज्जैन सिंहस्थपर्व में लोगों की उपस्थिति न्यून !

उज्जैन सिंहस्थ पर्व

  • नियोजन के अभाव से करोडों रुपए का अपव्यय !

  • पानी की पूर्ति का अभाव

  • चोरों के कारण साधु-संत असंतुष्ट

उज्जैन : सिंहस्थपर्व हेतु मध्यप्रदेश शासन ने उज्जैन शहर से १९ किमी. तक के परिसर में विविध अखाडे, खालसे तथा संप्रदायों को क्षेत्र उपलब्ध करवाए हैं। उसमें लगभग ५ सहस्र से अधिक बडे मंडपों का निर्माण किया गया है; किंतु स्थान-स्थान पर अटकाव (बैरीकेट्स) लगाना, सामूहिक वाहनों की सुविधा का अभाव तथा कडी धूप के कारण सिंहस्थपर्व के लिए आनेवालों की उपस्थिति अपेक्षा से अत्यंत न्यून है । प्रथम अमृत (शाही) स्नान होने के चार दिन पश्चात भी सिंहस्थपर्व में लोगों की संख्या अति न्यून है।

आवश्यक परिवहन व्यवस्था के अभाव के कारण श्रद्धालुओं को ५-६ कि.मी. की दूरी पैदल पार करनी पडती है। पर्वणी के समय भी अत्यंत कष्ट उठाने पडते हैं। पुलिस प्रशासन विशेष प्रमाणपत्र न होनेवाले वाहनों को प्रतिबंधित कर रहा है। अतः शहर के वाहन कुंभक्षेत्र तक नहीं आ सकते। प्रातः ११ से सायंकाल ५ बजेतक कडी धूप के कारण लोग घर से बाहर नहीं निकलते, सांयकाल के समय ५.३० बजे लोग घूमने हेतु बाहर निकलते हैं।

एक मंडप में श्रद्धालुओं की उपस्थिति न्यून दिखाई दे रही है !
एक मंडप में श्रद्धालुओं की उपस्थिति न्यून दिखाई दे रही है !
प्रशासनद्वारा निर्माण किए गए शौचालयों का उपयोग ही नहीं हो रहा है !
प्रशासनद्वारा निर्माण किए गए शौचालयों का उपयोग ही नहीं हो रहा है !

मंडप तथा विद्युत व्यवस्था के कारण १० लक्ष से १ करोड रुपए व्यय !

यहां के शासन ने १९ कि.मी परिसर में विविध अखाडों को क्षेत्र उपलब्ध करवाया है। उनमें अधिकांश अखाडों ने १० लक्ष से १ करोड रुपए व्यय कर मंडप, भव्य मंडप, बडी कमान तथा विद्युत व्यवस्था की है। विद्युत व्यवस्था पर मुंबई-पुणे के गणेशोत्सव के समान व्यय किया है; किंतु श्रद्धालुओं की उपस्थिति अत्यंत न्यून है। अखाडों में ५०० लोगों का भोजन सिद्ध किया जाता है; किंतु प्रत्यक्ष उपस्थिति केवल १०० के आसपास रहने के कारण ४०० लोगों का अन्न फेंकना पडता है। अनेक स्थानों पर कथा प्रवचन आरंभ है; किंतु लोगों की उपस्थिति अत्यंत न्यून है।

शासन ने विद्युत की पूर्ति की है; किंतु यह बात निदर्शन में आई है कि, प्रातः तथा दिन में अनेक स्थानों पर आवश्यकता न होते हुए भी हैलोजन लैंप्स जलते हुए दिखाई देते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए निर्माण किया गया मंडप खाली है !
श्रद्धालुओं के लिए निर्माण किया गया मंडप खाली है !

उपलब्ध की गई साधन सामग्री का उपयोग न होने के कारण करोडों रुपए की हानि !

५ सहस्र से अधिक विविध संस्था, संप्रदाय, अखाडे तथा खालसों ने सिंहस्थपर्व के स्थान पर क्षेत्र अधिग्रहित किया था, किंतु अनेक स्थानों पर अभी भी मंडप का निर्माणकार्य अधूरी स्थिति में दिखाई देता है। अनेक स्थानों पर संस्था तथा संतों की मांग के अनुसार उन्हें क्षेत्र प्रदान किया गया है। उस स्थान के साथ ५ शौचालय, ५ स्नानगृह, पानी के नल, पानी की २ बडी बडी टंकिया उपलब्ध करवाई हैं; किंतु लोगों द्वारा उस स्थान का उपयोग न करने के कारण क्षेत्र एवं साधन-सुविधा का उपयोग नहीं हो रहा है। इस माध्यम से शासन के कराडों रुपए का व्यर्थ व्यय हो रहा है।

नरवर क्षेत्र में २ करोड रुपए व्यय कर सामूहिक आरोग्य केंद्र निर्माण किया गया है; किंतु उसका लोकार्पण न होने के कारण लोगों को उसका कुछ लाभ नहीं हो रहा।

पानी तथा अन्य सुविधाओं की अधूरी पूर्ति !

जिस स्थान पर साधु, महंत, महामंडलेश्वर तथा आध्यात्मिक संस्थाएं हैं, उस स्थान पर आवश्यकतानुसार पानी की पूर्ति नहीं की गई है। अतः स्नान तथा पीने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। अत: उसके लिए लोग परिवाद करने पर उतर आये हैं। अनेक स्थानों पर स्वच्छता की सुविधा नहीं है। अखाडों के लिए किया गया निर्माण कार्य निम्न स्तर का होने के कारण शौचालय की नलिकाएं (पाईप) टूट गई हैं, उनसे दुर्गंध फ़ैल रही है।

केवल १३ प्रमुख अखाडों की ओर (१० शैव अखाडे तथा ३ वैष्णव अखाडों की ओर) शासन का विशेष ध्यान है। उन्हें किसी भी प्रकार का अभाव प्रतीत न हो, इसलिए सर्व अधिकारी उनकी सेवा करने हेतु सिद्ध रहते हैं। अन्य स्थानों पर शौचालय के द्वार टूटे हैं। शौचालय में पानी की पूर्ति नहीं है। सामूहिक शौचालय तथा स्नानगृहों के स्थान पर नल बंद न होने के कारण वहां से पानी बह रहा है तथा पश्चात पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है।

अतः अनेक स्थानों पर साधु-संत त्रस्त हैं। उनकी ओर शासन का ध्यान न होने के कारण २३ अप्रैल २०१५ को बडनगर मार्ग पर साधु-संतों ने पथ पर आकर आंदोलन किया तथा यह मांग की कि, हमें प्यास लगी है, पानी का प्रबंध करें ! साधु-संत लगभग २ घंटे पथ पर डटकर बैठे रहे। विभागीय दंडाधिकारियों द्वारा दो दिन में समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन देने के पश्चात ही आंदोलन रोक दिया गया।

सिंहस्थपर्व में आये हुए, २५ से अधिक साधु-संत, तो १ सहस्र १०० से अधिक श्रद्धालु रुग्णालय में उपचारार्थ प्रविष्ट !

सिंहस्थपर्व हेतु आए साधु-संतों में से २५ साधु-संत, तो १ सहस्र १०० श्रद्धालु रुग्णालय में प्रविष्ट हुए हैं। इन रुग्ण साधुओं की पूछताछ करने हेतु मध्यप्रदेश शासन के मंत्री श्री. भूपेंद्र सिंह ने रुग्णालय में जाकर उनसे भेंट की। तब उन्होंने यह आरोप लगाया कि, उस स्थान पर साधु-संतों को आवश्यकता से अल्प मात्रा में फल दिए जा रहे हैं। इस संदर्भ में मंत्री श्री. भूपेंद्र सिंह ने प्रशासन को आदेश दिया कि, शासन द्वारा आवश्यकतानुसार आर्थिक प्रबंध किया है, तो संतों को आवश्यकता के अनुसार फल दिए जाने चाहिए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *