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हिन्दुओं को छल बल से अल्पसंख्यक बनाने की साजिश – जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

हिन्दू धर्म प्रमुख जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि – ” स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उम्मीद थी कि गोवंश, गंगा और सनातन परंपराओं का संरक्षण होगा, लेकिन केंद्र और राज्य शासन तंत्र के दूषित षड्यंत्रों से ऐसा नहीं हो सका। “

उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा शासन की प्रशंसा करते हुए कहा है कि, गोवंश की रक्षा को अनुकूल कदम उठा सराहनीय काम किया है !

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केंद्रीय शासन को सुझाव देते हुए भी उन्होंने कहा कि केंद्र धैर्य और सद्भाव के साथ ठोस कदम उठाये। ताकि गाय, गंगा और सनातनी परंपराओं का संरक्षण हो सके।

उन्होंने कहा, “आज मुसलमान, ईसाई और कम्युनिस्ट की अपेक्षा हिंदू ही गोहत्या को संरक्षण दे रहे हैं। बेहद दुखद है कि, अपने को हिंदू कहने वाले काटजू गोहत्या के समर्थन में बयान दे रहे हैं !”

आगे उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता आंदोलन के नायक रहे भगत सिंह , चन्द्रशेखर आज़ाद , मंगल पांडे जैसे वीरों ने आजाद भारत के जिस स्वरूप की कल्पना की थी उसकी उपेक्षा की गई। हिन्दुओं को छल बल से अल्पसंख्यक बनाने का सदैव प्रयास हुआ। पर्सनल लॉ पर विचार करें तो हिन्दुओं को भारत में समान अधिकार कहां है !”

गौ पर भी बोले

उन्होंने गाय पर बोलते हुए कहा, “विकृत कृषि प्रणाली के कारण गो वंश का उपयोग व संरक्षण नहीं हो पा रहा है। कभी हमारे देश में सत्तर प्रजातियों की गाय थीं। अब महज तीस से पैंतीस प्रजातियां बचीं हैं। पंच गव्य व बैल का विलोप हो रहा है। अब तो आश्रम व गोशालाओं में ही गो वंश का संरक्षण हो रहा है !”

गौ सरंक्षण पर बोले

धर्म प्रमुख ने गोवंश संरक्षण को उपाय भी बताया। उन्होंने कहा, “पहले गुरुकुल गांव में थे। अब तो लोग शहर की ओर भाग रहे हैं। महंगाई से लोग बेहाल भी हैं। पर, ऐसे में भी गो संरक्षण का काम कर सकते हैं। अपने परिवार के सदस्यों की वर्षगांठ पर जितनी उम्र हो गई हो उतनी राशि गो शाला को गोवंश संरक्षण को दें। जो संपन्न लोग हैं वह कम से कम एक गाय को गोद लें व उसका खर्च दें। गो वंश का संरक्षण होगा !”

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उन्होंने झरिया धनबाद गोशाला के कार्य की सराहना की।

उन्होंने कहा कि पंच गव्य, जैविक खाद व औषधि निर्माण का काम भी गोशाला में कर गोशाला की आय बढ़ायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि, असमर्थ गाय को भार समझा जाता है और वही कट जाती है। सभी सहयोग करें तो गाय मां की रक्षा जरूर होगी और वह कोलकाता और बांग्लादेश कटने के लिये कभी नहीं जायेगी !

इससे पूर्व शंकराचार्य ने गोशाला पहुंच गो माता का पूजन किया। इसके बाद में राम प्रसाद कटेसरिया ने नारायण पादुका पूजन किया। शंख ध्वनि और घंटा घड़ियाल के बीच शंकराचार्य का स्वागत किया गया। गोशाला परिसर में झरिया के विभिन्न मंदिरों से पहुंचे पुजारियों के मंत्रों की गूंज से गोशाला परिसर महकता रहा !

स्त्रोत : रिव्होल्ट प्रेस

Tags : संत

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