लेखापीरक्षक राधाकृष्णन पर आक्रमण का प्रकरण
शंकराचार्यजी को बंदी बनाए जाने पर उनकी अपकीर्ति करनेवाले समाचारों का प्रसारण करनेवाले प्रसारमाध्यम उनको निर्दोष मुक्त करने पर समाचार प्रसारित नहीं करते, यह ध्यान में लीजिए तथा ऐसे हिन्दूद्वेषी प्रसारमाध्यमों का बहिष्कार कीजिए !
चेन्नई – सितंबर २००२ में लेखापरीक्षक राधाकृष्णन् की हत्या करने के प्रयास के आरोप में कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वतीजी एवं अन्य ८ लोगों को न्यायालय ने दोषमुक्त किया । (निर्दोषों को अकारण १५ वर्ष मानसिक पीडा भुगतने के लिए विवश करनेवाली अन्वेषण एवं न्यायसंस्थाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
प्रथमवर्ग अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी. राजामणिकम् ने अपने आदेश में कहा है कि शंकराचार्यजीसहित सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया जाता है । न्यायालय ने झूठी साक्षी (गवाही) देनेवाले रवि सुब्रह्मण्यम् पर स्वतंत्र रूप से अभियोग चलाने का आदेश भी दिया है । (झूठी साक्षी देकर हिन्दुआें के धर्मगुरु को फंसाने के पीछे कौन है, शासन इसे खोजकर सत्य जनता के सामने लाए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
वादी पक्ष ने कहा था कि आरोपियों ने षड्यंत्र कर कांची कामकोटी पीठ के पूर्व लेखापरीक्षक एस्. राधाकृष्णन् के घर पर २० सितंबर २००२ को आक्रमण किया था । मठ में होनेवाली अनियमितताआें को सामने लाने के लिए राधाकृष्णन् सोमशेखर गणपाडिगाल, इस उपनाम से पत्र लिखते थे । उसके विरोध में आरोपियों ने एस. राधाकृष्णन की हत्या का षड्यंत्र रचा । शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वतीजी ने इस प्रकार के पत्रों के विषय में अप्रसन्नता व्यक्त की थी । इसके अतिरिक्त शंकराचार्यजी ने युदारेसा अय्यर एवं रघु को इस विषय में कार्यवाही करने के लिए कहा था । तदुपरांत पुलिस ने शंकराचार्यजी सहित १२ लोगों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया था । (शंकराचार्यजी को झूठे प्रकरण में फंसाकर उनका शोषण करनेवालों को बंदी बनाया जाए, साथ ही उनको कारागृह में भेजा जाए, समस्त हिन्दुआें को यह मांग अब तमिलनाडू शासन से करनी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
एस्. राधाकृष्णन् की हत्या का प्रयास करने के प्रकरण में संदिग्ध आरोपियों पर वर्ष २००६ में पुलिस द्वारा आरोपपत्र प्रविष्ट किया गया था ।
स्त्राेत : दैनिक सनातन प्रभात