यदि भोजशाला में नमाज बंद नहीं की गई, तो मध्यप्रदेश के सभी मस्जिदों में शुक्रवार को हनुमानचालीसा का पठन करेंगे ! – काशी-सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रनंदगिरी महाराज
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की ओर से आयोजित ‘संत सम्मेलन एवं राष्ट्रीय अधिवेशन’ में घोषणा !
उज्जैन : काशी-सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रनंदगिरी सरस्वती महाराज ने उज्जैन सिंहस्थपर्व के संत सम्मेलन एवं अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में चेतावनी देते हुए कहा है कि, ‘धार की भोजशाला हिन्दुओं की है एवं वर्ष में केवल वसंत पंचमी को सरस्वतीपूजन करने की अनुमति देने की अपेक्षा ३६५ दिन हिन्दुओं को पूजन का अधिकार मिलना ही चाहिए !
वहां पर मुसलमानों को नमाजपठन की अनुमति देकर शासन ८० करोड हिन्दुओं का अपमान कर रहा है !
उन्होंने चेतावनी दी कि, यदि भविष्य में हिन्दुओं की भोजशाला में नमाजपठन बंद नहीं किया गया, तो मध्यप्रदेश राज्य की हर मस्जिद में शुक्रवार को हनुमानचालीसा का पठन किया जाएगा ! यदि २०१८ तक अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं किया गया, तो हिन्दू अपनी पद्धति से अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करेंगे !’ (भाजपा के राज्य में संतों को ऐसी चेतावनी देनी पडती है, जो अपेक्षित नहीं है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
संतों का सम्मान, अखंड हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, धार की भोजशाला मुक्ति आंदोलन, कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन तथा गो-गंगा-गीता की रक्षा करने के संदर्भ में आयोजित संत सम्मेलन एवं राष्ट्रीय अधिवेशन में पूरे देश के संत-महात्मा भारी संख्या में उपस्थित थे। इस समय ‘जय हिन्दू राष्ट्र’, ऐसा जयघोष किया जा रहा था।
सांसदों की वेतनवृद्धि के लिए एकमत से निर्णय होता है; तो गोहत्या बंदी कानून क्यों नहीं बनता ? – शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती
ज्योतिषमठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि, राज्यसभा में बहुमत न रहने के कारण ह्रिन्दूहित का निर्णय लेना असंभव है, शासन ऐसा कारण बता रहा है; परंतु यदि सांसदों की वेतनवृद्धि के लिए सब एकमत से निर्णय ले सकते हैं; तो संपूर्ण गोहत्या बंदी के लिए शासन एकमत से निर्णय क्यों नहीं ले सकता ?
शासन नहीं, अपितु संत ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करेंगे ! – महामंडलेश्वर रामभूषणदासजी महाराज
गुजरात के महामंडलेश्वर रामभूषणदासजी महाराज ने कहा कि, यदि हिन्दुत्व को बचाना है, तो संस्कार बचाना चाहिए। संस्कार बचे, तो संस्कृति बचेगी, तभी ‘हिन्दू राष्ट्र’ आएगा !
शासन कैसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ लाएगा ?, प्रत्यक्ष में संत ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करेंगे। संस्कार न होने से शासन बिगड गया है। आज अनेक संत, महामंडलेश्वर, शंकराचार्य तथा जगदगुरु हैं, परंतु वे क्या करते हैं ? जैसे आद्य शंकराचार्य ने घर-घर में जाकर धर्म एवं संस्कार जागृति का कार्य किया वैसा कार्य आरंभ किए बिना ‘हिन्दू राष्ट्र’ कैसे आएगा ? उसके लिए हर व्यक्ति को अपने घर से संस्कार आरंभ करने चाहिए। पूर्व में जिस प्रकार संस्कार संजोए जाते थे, वैसे ही, आज भी संजोए जाने चाहिए !
लढ कर ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ प्राप्त करना पडेगा ! – पू. बिंदूजी महाराज
पू. बिंदूजी महाराज ने कहा कि, ‘हिन्दू राष्ट्र’ मांगने से नहीं मिलता है, अपितु उसे लढ कर प्राप्त करना पडता है। इसलिए हिन्दुओ, अब युद्ध की सिद्धता करें ! यह कोई निर्बल अथवा ऐसे-वैसे व्यक्ति का नहीं, अपितु शूरवीरों का कार्य है ! इसके लिए ‘संघे शक्ती कलौःयुगे।’ के अनुसार सभी को संगठित होना पडेगा !
मेकॉले ने जो किया वही वर्तमान समय के राजनेता कर रहे हैं। अपने भारतीय संविधान में संतों को भिक्षुक संबोधित किया गया है। मेकॉलेद्वारा गुरुकुल परंपरा एवं संस्कार तोडने का कार्य किया गया है। शासन भी यही कर रहा है। ‘गुरु’ से दूर होने के कारण ही अपनी दुर्गति हो गई है। हमें यदि ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना है, तो ‘गुरु’ की शरण में जाना ही पडेगा।
महाराष्ट्र में एक ‘तृप्ति देसाई’ नामक महिला मंदिर के गर्भगृह में जाने हेतु आंदोलन कर धर्म को भ्रष्ट कर रही है। हमने उसे विरोध किया; परंतु कुंभ में आने पर उसने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया। इस प्रकार पूरे देश में धर्मश्रद्धा नष्ट करने का षडयंत्र शुरू हो गया है। संस्कारविहीन होने से ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है !
धर्म के ‘आचरण’ से ही धर्म की ‘रक्षा’ होने की संभावना है ! – पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि, सनातन हिन्दू धर्म वटवृक्ष के समान है एवं वर्तमान में इस वृक्ष की सभी शाखाओं पर चारों ओर से आक्रमण किए जा रहे हैं !
चाहे वे गोहत्या हों अथवा लवजिहाद, धर्मपरिवर्तन हो अथवा आतंकवादी घुसपैठ !
इन सर्व समस्याओं पर समाधान ढूंढने में हिन्दुओं की शक्ति विभाजित हो गई है। हमें एक-एक शाखा नहीं, अपितु पूरा ‘हिन्दू वटवृक्ष’ बचाना है। उसके लिए ‘एक साधै सब साधै’ इस न्याय के अनुसार ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु प्रयास करना आवश्यक है। धर्म ‘आचरणमूलक’ होता है, धर्म के आचरण से ही धर्म की रक्षा होने की संभावना है। आज ‘धर्म’ को छोडने के कारण ही यह दु:स्थिति उत्पन्न हुई है !
यदि धर्म को बचाना है, तो हमें प्रथम अपने ही लोगों से अर्थात जो जन्म से हिन्दू है; परंतु कर्म से नहीं, ऐसे लोगों से लडाई करना पडेगी !
आज तक, हिन्दुओं ने हर युद्ध संख्याबल के आधार पर नहीं, अपितु ईश्वरीय सहायता से जीता !
‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु उपस्थित अधिकांश संत एवं महंतों ने हिन्दुओं की जनसंख्या बढाने हेतु उपस्थित लोगों को आवाहन किया।
हर हिन्दू ने न्यूनतम १० लडकों को जन्म देने का आवाहन किया गया।
इस पर समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि, अब तक कोई भी युद्ध हिन्दुओं ने बाहुबल अथवा संख्याबल से नहीं जीता, अपितु ईश्वर पर श्रद्धा, ईश्वर की कृपा एवं ईश्वर की सहायता के आधार पर ही जीता है !
केवल हिन्दुओं की जनसंख्या बढाने का विचार किया गया, तो धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओं की संख्या में भी वृद्धि होगी अर्थात अपने ही शत्रुओं की संख्या बढेगी !
इसकी अपेक्षा हिन्दुओं में भगवान परशुराम समान साधना के आधार पर ‘क्षात्रतेज एवं ब्राह्मतेज’ उत्पन्न करना चाहिए। यद्यपि ऐसे लोगों की संख्या न्यून होगी, तब भी वे ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना सहज कर सकते हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात