धर्मपरंपराओं को तोडनेवाले तथा उनका पालन न करनेवालों का, इस विषय में क्या कहना है ?
संभाजीनगर : श्री शनिशिंगनापुर की परंपरा का पालन किया जाना चाहिए था, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन कर्नाटक के हंपी के शंकराचार्य श्री श्री विद्यारण्यभारतीजी ने श्री शनिशिंगनापुर के चबुतरेपर महिलाओं ने किए हुए प्रवेश के सूत्रपर किया !
शिर्डी के श्री साईबाबा हमारे लिए गुरुस्थानपर हैं; इसलिए उनके विषय में कोई विवाद होने का कारण नहीं हैं, ऐसा भी उन्हों ने कहा । ब्राह्मण समाज परशुराम जयंति उत्सव समिति की ओर से आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे ।
शंकराचार्य श्री श्री विद्यारण्यभारतीजी ने आगे कहा, हमारे वेदमंत्र क्या बताते हैं तथा विज्ञानवाद कैसे प्रस्तुत करते हैं , यहांसे लेकर रुढी-परंपराओं का पालन करनेतक इस विषय में पुनःश्च विचार करना आवश्यक है । जो हमारे पास रुढी-परंपराओं से आया है, उसी का हमें विस्मरण हुआ है । इसलिए हमें अधोगति की ओर जाना पड रहा है । अमेरिका, जर्मनी जैसे राष्ट्र हमारी ही हिन्दु संस्कृति का अवलंबन कर वेदमंत्रों को शिरोधार्य मानकर गति से विज्ञानवाद प्रस्तुत कर रहे हैं ! (क्या केंद्र का भाजप शासन इसका विचार करेगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात