नागा-साधु होने के लिए श्री पंचदशनाम अखाडे के माध्यम से दीक्षा कार्यक्रम
उज्जैन : महापर्व सिंहस्थ के प्रमुख आकर्षण विविध मतों के शिष्य रहनेवाले साधु-संत तथा उनके अखाडे भी हैं । साधुसंतों की जीवनशैली तथा पूजन-विधि विविध प्रकार के होते है ।
संन्यास ग्रहण करने हेतु एक व्यक्ति को कठिन प्रक्रिया से जाना पडता है, यह प्रक्रिया देख कर भक्त एवं श्रद्धालु आश्चर्यविभोर हो गए ।
हाल-ही में उज्जैन सिंहस्थ में श्री पंचदशनाम आवाहन अखाडे ने एक सहस्त्र लोगों को संन्यास दीक्षा प्रदान की । इन में २४ महिला संन्यासी सम्मिलित थीं ।
श्री पंचदशनाम आवाहन अखाडे के कोषाध्यक्ष महंत श्री कैलाशगिरि महाराज ने बताया कि, सबसे प्रथम संन्यास जीवन में प्रवेश करनेवाले व्यक्तियों का मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर मुंडन संस्कार किया गया । इतना ही नहीं, अपितु सभी पूर्वज एवं स्वयं का पिंडदान भी किया गया । क्षिप्रा नदी में स्नान होने पर निवृत्ति जीवन आरंभ हुआ । सभी संन्यासी पंक्तियों में अखाडे की छावणी में पहुंच गए । वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संन्सास दीक्षा ग्रहण करनेवाले व्यक्तियों का हवन किया गया ।
तदुपरांत श्री पंचदशनाम आवाहन अखाडे के पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी श्री शिवेन्द्रगिरि महाराजद्वारा मंत्र देकर संन्यास दीक्षा प्रदान की गई । इन संन्यासियों को दिगंबर दीक्षा भी दी जाएगी, जिनके लिए दिशा ही वस्त्र है, वही दिगंबर है । इस प्रकार से सभी लोग नागा साधु बनेंगे ।
संन्यास दीक्षा का समारोह होने के पश्चात सभी नए संन्यासी अखाडे से संलग्न होंगे । सिंहस्थ समाप्त होने पर संन्यासी गुरुस्थान अथवा स्वयंद्वारा स्थापित आश्रम अथवा टेकडी पर एवं वन में जाकर तपस्या करेंगे । इसके साथ ही धर्म का प्रचार-प्रसार कर समाजहित के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात