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हिन्दु युवकों की अपेक्षा मुसलमान युवक अधिक धर्माभिमानी – स्वामी परमानंद, ज्योतिषाचार्य

उज्जैन में सनातन संस्था एवं हिन्दु जनजागृति समिति द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करने के पश्‍चात व्यक्त की हुई प्रतिक्रिया

swami_parmanandमेरा जन्म काशी में हुआ है तथा मैनेkiti shaak sweetu पुणे विश्‍वविद्यालय से रसायनशास्र में उपाधि ली है । हमारे महाराष्ट्र के धुळे जनपद में, अपितु मध्य प्रदेश के धार जनपद में आश्रम हैं । मैं कथाकार हूं । मैं भागवत, रामायण, शिवपुराण एवं देवी भागवतपर कथा करता हूं । इन कथाआें के माध्यम से युवाआें को बोधपर मार्गदर्शक हो, ऐसा मेरे प्रत्येक कार्यक्रम में युवकों को बताने का प्रयास करता हूं; परंतु इस में मैं असफल होता हूं ।

कई दिनों से मैं चिंतित हूं; क्योंकि आज की युवा पिढी को ना धर्म के प्रति प्रेम है, ना मंदिरों के प्रति ! इस के विपरीत मुसलमान युवकोंसहित ५-६ आयुसमूह के छोटे-छोटे बच्चों को इस्लाम हो अथवा उसकी सीख आचरण में लाने के विषय में कुछ बताने की आवश्यकता नहीं पडती; क्योंकि उनको धर्मशिक्षा दी जाती है । हमारे युवक मंदिरों में नहीं जाते हों; परंतु वह लड के विना चूकते हुए मस्जिद में जाकर ५ बार नमाज पढते हैं ।

मुसलमान महिलाएं उनकी संस्कृति के अनुसार बुरखा पहनना आदि कृत्य आनंद के साथ करती हैं । इस के विपरीत हिन्दु युवा पिढी पश्‍चिमी संस्कृति का अंधानुसरण कर फैशन के नामपर शरिर का प्रदर्शन करती है । यह फैशन इतनी होती है कि, ईसाई भी उस से लज्जित होंगे । ऐसी बातों के कारण ही मैं चिंता में रहता हूं । आनेवाले भविष्य में आनेवाली भावी पिढी का क्या होगा, इस की चिंता मुझे सता रही है । मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडा हूं । हिन्दु जनजागृति समिति के इस कार्य में सम्मिलित होने की मैं इच्छा व्यक्त करता हूं । पश्‍चिमी संस्कृति में शांति एवं संतुष्टी नहीं है, अपितु वह हिन्दु संस्कृति में हैं, यह मुझे पूरा विश्‍वास है ।

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