Menu Close

‘हिन्दू राष्ट्र एवं हिन्दू धर्म’ हेतु ‘मैं क्या कर सकता हूं’ इस बात का निरंतर, विचार करें – श्री. प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना

मिरज (सांगली) में हिन्दू धर्माभिमानियों को श्री. प्रमोद मुतालिक का मार्गदर्शन

हिन्दूत्वनिष्ठों को मार्गदर्शन करते हुए श्री. प्रमोद मुतालिक तथा उपस्थित हिन्दूत्वनिष्ठ
हिन्दूत्वनिष्ठों को मार्गदर्शन करते हुए श्री. प्रमोद मुतालिक तथा उपस्थित हिन्दूत्वनिष्ठ

मिरज (सांगली) : यहां हिन्दू धर्माभिमानियों को मार्गदर्शन करते समय कर्नाटक के श्रीराम सेना संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिक बोल रहे थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘यदि कश्मीर में हिन्दुओं पर अत्याचार किए गए, साथ ही कर्नाटक में हिन्दुओं को आपत्ति का सामना करना पडा, तो हिन्दुओं को दुःख नहीं होता अथवा उनके लिए कुछ कृती करने की इच्छा भी नहीं होती ! इसके विपरित यदि डेन्मार्क में मुसलमानों को कुछ हुआ, तो भारत के मुसलमानों में प्रतिक्रिया उमड पडती है !

समय की यह आवश्यकता है कि, हिन्दुओं को भाषा, प्रांत में अटकने की अपेक्षा केवल एक ‘हिन्दू’ के रूप में संगठित होना चाहिए।’

उस समय अधिवक्ता श्री. राजेंद्र शिरसाट, अधिवक्ता श्री. किरण जाबशेट्टी, कवठेमहांकाळ की भाजपा की श्रीमती आशाताई पोतदार, शिवसेना के भूतपूर्व सांगली जनप्रमुख श्री. विकास सूर्यवंशी, तासगांव के शिवसेना के उपतहसील प्रमुख श्री. निवास पाटिल, श्री. संजय पाटिल, श्रीशिवप्रतिष्ठान के श्री. अरुण यादव तथा श्री. श्रीकृष्ण माळी, धर्मजागर मंच के श्री. राजू शिंदे, श्री. चंद्रकांत आवळे, भाजयुमो के श्री. अजिंक्य अंबर, हिन्दू धर्माभिमानी सर्वश्री किरण कांबळे, शुभम भोरे, राहुल कांबळे, प्रसाद दरवंदर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. किरण पोळ के साथ ४० से अधिक हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे।

उस अवसर पर श्री. मुतालिक ने यह वक्तव्य किया कि,…

pramod-mutalik200१. मुझे गोवा शासन की ओर से दो वर्षों से राज्य में प्रवेश करने के लिए अनुमती नहीं है। गोवा में मैं अन्य कोई भी कृती नहीं करने वाला हूं। केवल ईश्वर का दर्शन लेने के लिए भी मुझे प्रतिबंध लगाया गया है। इस के विरोध में न्यायालय में जाने के पश्चात भी मुझे न्याय प्राप्त नहीं हुआ !

२. यह दुर्देव की बात है कि, गत १० वर्षों से संगठन का कार्य करते समय मुझे अनेक बडी समस्याओं का सामना करना पडा। हिन्दुत्व के, तीव्र कार्य के कारण सभी राजनीतिक दलों के मन में मेरे प्रति तिरस्कार की भावना है !

३. इन दो मासों में कर्नाटक राज्य में मुझे ८ जनपदों में प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है; अपितु संत, साथ ही प.पू. डॉक्टर (सनातन के संस्थापक) के आशीर्वाद के कारण ही हम यह कार्य कर पा रहे हैं !

४. वर्ष २००९ में कर्नाटक के एक पब में आक्रमण हुआ, उस समय मैं पुणे में था; अपितु मुझे पुणे पुलिस ने इस संदर्भ में बंदी बनाया। केवल दूरचित्रप्रणालों का मुंह बंद करने के लिए मेरा राजनीतिक उपयोग किया जा रहा है; किंतु इस बात का अन्य एक लाभ यह हुआ कि, हमें पूरे देश में प्रसिद्धी प्राप्त हुई !

५. एक ओर मुझे दो-दो वर्ष तक गोवा राज्य में प्रवेश करने के लिए विरोध किया जाता है, इस के विपरित देशद्रोही घोषणा देकर भी अनेकों को देश में कहीं भी भाषण करने के लिए अनुमती प्राप्त होती है !

६. कश्मिरी हिन्दुओं के लिए हम २२ से अधिक संगठनों ने संगठित होकर एक निश्चित कृती करने के लिए प्रारंभ किया है !

क्षणिकाएं

१. येळावी के हिन्दू धर्माभिमानियों ने संगठित रूप से विरोध कर अवैध मस्जिद तोड दी। इस बात का श्री. मुतालिक ने येळावी के हिन्दू धर्माभिमानियों का विशेष अभिनंदन किया। साथ ही तासगावं के गोरक्षा हेतु कार्य करनेवाले गोरक्षकों का विशेष अभिनंदन किया।

२. श्री. मुतालिक ने आगे यह वक्तव्य किया कि, ‘कवठेमहांकाळ की श्रीमती आशाताई पोतदार जैसी रणरागिणी के समान रणरागिणियों की आवश्यकता है। हिन्दुओं में लडाऊ वृत्ती निर्माण करना अत्यंत आवश्यक ! आज देशद्रोही कर्करोग के समान भारत में फैल रहे हैं। भारत में ५० सहस्त्र ‘श्रीनगर’ सिद्ध हो रहे हैं। उसके लिए हिन्दुओं में लडाऊ वृत्ती निर्माण करना तथा समाज में क्षात्रतेज बढाना अत्यंत आवश्यक है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *