उज्जैन सिंहस्थपर्व का दूसरा ‘अमृत स्नान’ !
यात्रा सुनियोजन में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग
उज्जैन : यहां के दूसरे वैश्विक अमृत स्नान के अवसर पर ९ मई को ३० लाख से अधिक भक्त एवं लाखो साधु-संतों ने क्षिप्रा नदी में पवित्र स्नान किया !
इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड प्रचंड होने के कारण सभी जगहों पर नियंत्रण रखना पुलिस के लिए कठिन हो रहा था। इस अवसर पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यात्रा का सुनियोजन किया गया एवं आनेवाले सभी संत एवं भक्तों का वस्त्रफलक लगा कर स्वागत भी किया गया। सवेरे ६ से १०.३० बजे तक साधक इस नियोजन में कार्यरत थे।
१. प्रचंड भीड रहने के कारण दोपहर २ बजे तक किसी को रामघाट पर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। अतः पुलिस एवं नागरिकों में विवाद उत्पन्न हुआ !
२. नागरिकों का कहना था कि, हम संतों का स्नान होने तक नहीं रूक सकते। (संतस्नान के उपरांत ही उस जल में अधिक सात्त्विकता आती है। इसलिए यदि उनका स्नान होने पर स्नान करने से अधिकाधिक लाभ होता है, हिन्दुओं को, किसीने यह सीखाया नहीं, उसका यह परिणाम है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. अनेक स्थान पर पुलिसद्वारा सख्ती करते हुए ५-६ किमी. के अंतर से वाहनों को प्रतिबंध करने के कारण इतने दूर तक नागरिकों को चलते चलते आना पडा। फलस्वरूप नागरिकों का संयम टूटने लगा !
४. इस अवसर पर भीड न होने हेतु पुलिस प्रशासनद्वारा एक स्थान पर आए लोगों को भगाने का कार्य किया जा रहा था; परंतु लोग कुछ सुन नहीं रहे थे !
५. इस अवसर पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मानवी शृंखला बना कर लोगों को एक पंक्ति में स्नान के लिए छोडना, साधु-संतों के आसपास कडी बनाना तथा लोगों को शांति से आगे बढ़ाना आदि कार्य प्रशासन को सहायता के रूप में किये गये।
६. नागरिक पुलिस का कहना नहीं सुन रहे थे। इस समय सनातन के साधकों द्वारा बताए जाने पर नागरिक उनका कहना मान कर आगे जा रहे थे।
७. पुलिसकर्मियों ने लोगों को भयभीत करने हेतु घोडों का उपयोग किया। लोग कुछ सुन नहीं रहे, ऐसा देखने पर पुलिस नागरिकों पर घोडा छोडते थे ! (अंग्रेजों समान जनता पर अत्याचार करनेवाली पुलिस एवं उन्हें ऐसा करने हेतु विवश करनेवाले अनुपालनहीन नागरिक ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इसलिए नागरिक भयभीत हो कर पलायन कर रहे थे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात