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उज्जैन के ‘श्री महाकाल भक्ति साधना आश्रम’ का बडा मंडप गिरा किंतु घास से बनाई गई यज्ञशाला को कोई हानि नहीं

उज्जैन सिंहस्थ पर्व में निसर्ग का ‘रौद्ररूप’ !

तूफानी वर्षा के कारण, बड़े बड़े मंडप ध्वस्त हो गये किंतु ‘यज्ञशाला’, ‘भगवान शिव की मूर्ति’ एवं ‘संतों को महाप्रसाद परोसने की जगह’ ऐसी जगहों पर मात्र किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंची ! ये ईश्वरीय अनुभूति नहीं तो और क्या !

तूफान में भी यज्ञशाला सुरक्षित रहती है, इस विषय में अंनिस (अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति) क्या भाष्य करना चाहती है ?

छायाचित्र में, १. लोहे के खंबे द्वारा निर्माण मंडप गिर गया है तो, २. पास में ही विद्यमान यज्ञशाला स्थिर रूप से खडी है !
छायाचित्र में, १. लोहे के खंबे द्वारा निर्माण मंडप गिर गया है तो, २. पास में ही विद्यमान यज्ञशाला स्थिर रूप से खडी है !

उज्जैन : यहां के सिंहस्थपर्व में बडनगर मार्ग, रामघाट के समीप ‘श्री महाकाल भक्त साधना आश्रम’ का लोहे के खंबे से बनाया गया बडा मंडप मांडव ९ मई को आई तूफानी वर्षा में गिर गया; परंतु उससे सटी हुई एवं घास गवत तथा बांस से बांधी गई यज्ञशाला को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंची !

आश्रम की दीदी श्री शिरेश्वरादेवी एवं पंडित राहुल शुक्ला ने दैनिक सनातन प्रभात के वार्ताहर को ऐसी अनुभूति बताई !

इस अवसर पर श्री शिरेश्वरादेवी एवं पंडित राहुल शुक्ला ने आगे कहा कि, तूफानी वर्षा में मंडप के गिरने से उस में हमारे ३०- ३५ लोग फंस गए थे। उन्हें ऐसे कैसे वैसे बाहर निकाला एवं उन पर उपचार किए। (प्रत्यक्ष में कुल मिला कर सिंहस्थ में ऐसे २०० से अधिक मंडप गिरे। शासन की जानकारी के अनुसार इस में १५ से २० लोग घायल होने की जानकारी प्रसारित की गई थी। प्रत्यक्ष में अंक कितना बडा होगा, इस उदाहरण से ध्यान में आता है। साथ ही यह भी ध्यान में आता है कि, सरकार को जनता की कितनी चिंता है ! इस स्थिति को परिवर्तत करने हेतु हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

दूसरे दिन भी शासन, पुलिस अथवा स्थानीय प्रशासन हमारी सहायता के लिए नहीं आए। (भाजपा के राज्य में हिन्दुओं को यह अपेक्षित नहीं है ! इसको कारणभूत रहनेवालों पर शासन कौनसी कार्रवाई करेगा, यह भी जनता को समझ में आना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) तूफान की तीव्रता इतनी थी कि, शासनद्वारा बांध कर दिए शौचालय के द्वार (सिमेंट के पत्रे एवं लोहे की चौखट) गिर पडे; परंतु मंडप के पासवाली घास एवं बांस से बनी यज्ञशाला वैसी ही स्थिति में है। उसकी कोई हानि नहीं हुई ! (इस प्रकार से उज्जैन में स्थान स्थान पर बडे बडे मंडप एवं कमाने टूटीं; परंतु यज्ञशालाओं की हानि नहीं पहुंची ! इस संदर्भ में ‘अंनिस’ क्या भाष्य करना चाहेगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

इस अवसर पर पौरोहित्य करनेवाली दीदी शिरेश्वरादेवी ने कहा कि, इस मंडप का आकार चंद्रकोर समान हो गया है। मंडप का अगला हिस्सा नहीं टूटा; क्योंकि वहां पर हम प्रतिदिन संतों को महाप्रसाद परोसते थे। इसलिए इस हिस्से को कोई हानि नहीं पहूंची। उसीपकार व्यासपीठ के पास भगवान शिव की मूर्ति थी। वहां पर मंडप पूरी तरह नहीं टूटा। ईश्वरी शक्तिवाले मंडप को कुछ भी नहीं हुआ। दोपहर ३ बजे वर्षा होने पर ये सब टूटने पर भी हमने यज्ञशाला में सायं ७ बजे का विधि पूरा किया। चांडाळ योग के कारण ये संकट आ रहे हैं। इन्हें दूर करने हेतु हम धार्मिक विधि कर रहे हैं जिस से उसकी तीव्रता न्यून होगी। (अपने मंडप की हानि एवं अनेक लोग घायल होते हुए भी समाजरक्षा हेतु ऐसे प्रयास करनेवाले हिन्दू ही, धर्म की ‘खरी’ शक्ति है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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