उज्जैन कुंभमेला !
विद्य साधना साध्यम ट्रस्टद्वारा आयोजित संत सम्मलेन : ‘राष्ट्र एवं धर्म आपत्ति में : हम चुपचाप क्यों हैं ?’
सम्मेलन में हिन्दू जनजागृति समिति का भी सहभाग
बाइ आेरसे उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, स्वामी भावेशानंद, आर्य जितेंद्र तथा पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज
उज्जैन : ८ मई २०१६ को उज्जैन सिंहस्थपर्व में संपन्न होनेवाले विद्य साधना साध्यम ट्रस्ट के पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज के व्यासपीठ पर राष्ट्र एवं धर्म आपत्ति में : हम चुपचाप क्यों हैं ? इस विषय पर संत सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
आंतरराष्ट्रीय संत समिति की ओर से इस संत सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
इस सम्मेलन में स्वामी भावेशानंद महाराज, हिमालय के पू. स्वामी हेमचंद्रजी, यथार्थ गीता के प.पू. स्वामी राजेश्वरानंदजी, रतलाम के भाजपा प्रदेश प्रकोष्ठ तथा हरिहर समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश शर्मा, उज्जैन के पं. नारायण प्रसाद शर्मा, सर्वदलीय गोरक्षक दल के राष्ट्रीय संयोजक श्री. महेंद्र कृष्ण शास्त्री, राष्ट्रीय गौरक्षा मंच के श्री. नरेंद्रजी सनातनी, हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. पूनम बोहरा, स्वदेशी रक्षा मंच की साध्वी शारदा तथा श्री. जितेंद्र आर्य, प्रसिद्ध समाजसेवी श्री. पगनसिंह कुलस्ते तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी उपस्थित थे।
यदि धर्माचरण, धर्म हेतु त्याग एवं मेहनत करने की सिद्धता की, तो ही हिन्दू समाज को प्रतिकार करना संभव होगा ! – पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
धर्म एवं राष्ट्र पर यदि आपत्ति आई, तो उसका विरोध करना प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य ही है; किंतु अपने जीवन में धर्माचरण अथवा न्यायपूर्ण आचरण का अभाव रहने के कारण हिन्दुओं को अन्य लोगों को विरोध करना असंभव हो रहा है !
हिन्दू धर्म में प्रथम मोह का प्रसंग भगवान श्रीराम के वनवास का था। तदनंतर महाभारत में कौरव-पांडवों का युद्ध इस प्रकार हिन्दुओं के जीवन से संस्कार लुप्त हुए तथा स्वार्थी वृत्ती वृद्धिंगत होने लगी। हम स्वयं धर्मानुसार आचरण नहीं करते; किंतु अन्य लोगों से धर्माचरण की अपेक्षा रखते हैं। यदि प्रत्येक हिन्दू ने धर्माचरण करना तथा धर्माचरण हेतु मेहनत करने की सिद्धता रखी, तो अन्याय, अत्याचार का प्रतिकार करने की शक्ति अपनेआप निर्माण होगी !
क्षणिकाएं
१. इस कार्यक्रम में अपराध सिद्ध न होते हुए भी कारागृह में बंदी साधु-संतों को मुवत करें, यह मांग की गई।
२. कार्यक्रम के समय लगभग ७.३० बजे बिजली गई, अपितु श्रद्धालु अपने स्थान पर स्थिर थे।
विद्य साधना साध्यम ट्रस्ट के पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज ने हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक
पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के संदर्भ में व्यक्त किए प्रशंसोदगार !
पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी का परिचय करते समय पू. स्वामी चिदंबरानंदजी महाराज ने बताया कि, ‘डॉ. चारुदत्त पिंगळे को मैं यहां संबोधित करने का आग्रह करता हूं। डॉक्टसाहेब उच्चकोटी के विद्वान हैं, ज्ञानी हैं। उनके मार्गदर्शन अंतर्गत अत्यंत सुंदर प्रदर्शनी का आयोजन कुंभ क्षेत्र पर किया गया है। इस प्रदर्शनी से मैंने भेंट की है। उच्चकोटी का ज्ञान होते हुए भी वे साधक वृत्ती से रहते हैं। निरंतर तपस्या करते रहते हैं !’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात