कोल्हापुर : देहली विश्वविद्यालय की भारत का ‘स्वतंत्रता संघर्ष’ इस पाठ्यपुस्तक में वीरगतिप्राप्त भगतसिंह सहित चंद्रशेखर आजाद, सूर्यसेन आदि क्रांतिकारकों को आतंकवादी ठहराने का घृणास्पद कृत्य किया गया है।
जिन क्रांतिकारकों ने देश के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान किया, उनको स्वतंत्र भारत में आतंकवादी कहना, क्रांतिकारकों का अक्षम्य अनादर ही है !
विश्वविद्यालय के इस पाठ्यक्रम के कारण लाखों छात्रों पर आजतक अयोग्य इतिहास थोंप दिया गया है। आजतक केवल गांधी-नेहरू का अनादर करनेवालों पर ही तुरंत अपराध प्रविष्ट किए जाते हैं, तो वीरगतिप्राप्त भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि क्रांतिकारकों का अनादर करनेवालों पर इस प्रकार से अपराध क्यों नहीं प्रविष्ट किए जाते ?
ऐसी घटना को सदा के लिए रोकने हेतु संबंधित लोगों पर तुरंत अपराध प्रविष्ट करें ! इसके साथ हिन्दू मंदिरों के गर्भगृहों में महिलाओं के लिए प्रवेश की मांग करनेवाले पुरोगामियों के कारण शासन और न्यायालय सहस्रों वर्षों से चली आ रही प्राचीन धार्मिक परंपराओं को न तोडें ! इस संदर्भ में हिन्दू धर्म के धर्माचार्य, शंकराचार्य अथवा काशी विद्वद् परिषद का मार्गदर्शन लेकर निर्णय किया जाए, इन मांगों को लेकर सवेरे ११ बजे यहां के शिवाजी चौक पर ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ किया गया।
क्षणचित्र : मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण से साध्वी प्रज्ञासिंह को राष्ट्रीय अन्वेषण संस्था (एनआइए) द्वारा निर्दोष माने जाने के कारण शिवाजी चौक पर धर्माभिमानी श्री. सुधाकर सुतार की ओर से नागरिकों में मिठाई बांटी गई !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात