हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करने हेतु केरल के ईसाईयोंद्वारा किये जा रहें अलग अलग पैन्थरे ! – श्री. बालकृष्ण, केरल
अब वे सूर्यनमस्कार को ‘येशु नमस्कार’ कहने लगे हैं !
१. मंदिर में दीप प्रज्वलित करते हैं तथा त्योहार के समय ईश्वर की शोभायात्रा निकालते हैं, उसी प्रकार चर्च में दीप प्रज्वलित करना तथा त्योहार के समय रथ में येशु का छायाचित्र मुद्रिक कर उसे देवता के समान अलंकार पहनकर फेरी निकालना
केरल के ईसाई लोग अब उनके चर्च में मंदिर के समान दीपस्तंभ रखते है; किंतु उनके अग्र पर क्रॉस रहता है। चर्च में दीप प्रज्वलित करते हैं। हिन्दू धर्मीय देवता के त्योहार के समय जिस प्रकार भगवान की पालकी निकालते हैं, उसी प्रकार चर्च के त्योहार में रथ में येशु का छायाचित्र मुद्रित कर उसे देवता समान अलंकार पहनाकर फेरी का आयोजन करते हैं। उत्सव में केरल के मंदिरों में एक विशिष्ट प्रकार के पटाखे फोडते हैं, उसी प्रकार चर्च में भी पटाखे फोडते हैं।
२. विष्णुसहस्रनाम के अनुसार येशु सहस्त्रनाम भी कहते हैं।
चर्च के त्योहार में अन्नदान को प्रसाद ॐ कहते हैं। वास्तविक प्रसाद ॐ यह शब्द केवल अन्नदान को कहते हैं। मंदिर में जाने के पश्चात जिस प्रकार घंटी बजाते हैं उसी प्रकार चर्च में जाने के पश्चात भी घंटी बजाते हैं। वर्तमान में विष्णुसहस्त्रनाम के अनुसार येशु सहस्त्रनाम भी आरंभ किया है !
३. हिन्दू मंदिर में किया जानेवाला तुलाभारम विधी चर्च में भी करते हैं।
एक चर्च में तो मंदिर में किसी भगवान को किया जानेवाला मन्नत तुलाभारम भी आरंभ किया है। तुलाभारम में जिसके लिए मन्नत मांगी जाती है, उस व्यक्ति को तुला में बिठाते हैं तथा उसके वजन इतने फल, चावल आदि भगवान को अर्पण करते हैं !
४. अब यह बात भी सामने आई है कि, ईसाई लोगों का हिन्दू धर्म के कृती का अनुकरण करना इतना अंतिम चरण तक गया है कि, अब वे सूर्यनमस्कार को ‘येशु नमस्कार’ कहने लगे हैं !
– श्री. बालकृष्ण, केरल (२०.४.२०१६)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात