सिंहस्थपर्व में सम्मिलित होकर प्रसन्न एवं आनंदी रहनेवाले श्रद्धालुओं पर, भारत के साथ ५ देशों के संशोधक संशोधन कर रहे हैं !
उज्जैन : उज्जैन सिंहस्थ पर्व में उपस्थित श्रद्धालुओं के आनंद का रहस्य क्या है ? इस प्रश्न पर ५ देशों के पथक संशोधन कर रहे हैं !
संशोधन करनेवाले पथकों में भारत के साथ नेदरलॅन्ड, रशिया, सिंगापुर तथा स्वित्झर्लंड के संशोधक सम्मिलित हैं।
उन्हें संशोधन कार्य में इंदौर, उज्जैन के साथ परिसर की सूचना एवं तंत्रज्ञान के (आईटी के) १४५ छात्रं सहायता कर रहे हैं। पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान, महाकालेश्वर का निर्मल जलाभिषेक, दर्शन, अध्यात्म, संतों के चरणस्पर्श से अधिकांश श्रद्धालु तृप्त हुए हैं। यह निष्कर्ष अभीतक के संशोधनद्वारा निकाला गया है। उसके लिए २० सहस्त्र लोगों के साथ विचारविमर्श किया गया।
संशोधन इस प्रकार से किया जा रहा है . . .
१. संशोधन करनेवाले पथक ने अभी तक २० सहस्त्र श्रद्धालुओं के साथ संवाद साधा है।
२. इस में श्रद्धालुओं का आचरण, श्रद्धा, परिवहन व्यवस्था, अत्यावश्यक सुविधा, नेतृत्व आदि १८ विषय अंतर्भूत किए गए हैं।
३. अमृत (शाही) स्नान साथ ही अन्य दिन दर्शन हेतु आए श्रद्धालुओं के अनुभव, इस बात का परिचय संशोधन पथक के सदस्य प्राप्त कर रहे हैं।
४. इस कालावधी में श्रद्धालुओं का व्यवहार किस प्रकार रहता है, इस का अभ्यास किया जाता है। उनका संयम, प्रशासन की ओर से उनकी अपेक्षा, समस्या तथा आनंदी रहने के कारणों का अभ्यास किया जाता है।
५. पूरे दिन में श्रद्धालुओं के अनुभव ज्ञात करने के पश्चात पथक उनका ब्यौरा प्रस्तुत करते हैं।
६. संशोधन हेतु ड्रोन तथा सीसीटीवी कॅमेरा की भी सहायता प्राप्त की जा रही है।
संशोधन के माध्यम से निकाले गए निष्कर्ष, इस प्रकार है . . .
१. परिवहन से मुक्तता पाने के पश्चात सिंहस्थपर्व के लिए आए श्रद्धालुओं का आनंद दो गुना बढ़ गया है !
२. सिर पर बोझ लेकर, अनेक किलोमीटर पैदल चलकर आने के पश्चात भी श्रद्धालुओं के मुख पर निरंतर हास्य दिखाई देता है। वे निरंतर उत्साह में दिखाई देते हैं !
३. मंदिरों में दर्शन, क्षिप्रा में स्नान, संतों के पदस्पर्श से श्रद्धालु भक्ति रस में डूब जाते हैं !
४. यह केवल भारत के समान धार्मिक देश में ही संभव है।
अनेक श्रद्धालुओंद्वारा नियमों का उल्लंघन भी किया जाता हैं ….
१. संशोधन में यह सिद्ध हुआ है कि, सिंहस्थपर्व में अनेक श्रद्धालु प्रशासन के नियम तथा आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस से भीड में बडा अपघात होने की आशंका रहती है !
२. इस पार्श्वभूमि पर श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करने का प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है !
३. संशोधन पथक के सदस्य प्रा. मेघना ने बताया कि, सिंहस्थपर्व के समय परिवहन की सुविधाओं में सुधार लाने की अत्यंत आवश्यकता है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात