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सिंहस्थ का पारंपरिक स्वरूप लौटना चाहिए : जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

Puri_shankaracharyaउज्जैन – पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी सरकार से नाराज है। उनका कहना है सिंहस्थ को मेले का रूप दे दिया है। यह मेला या पिकनिक नहीं, महापर्व है। सरकार प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक में एक समिति बनाए। इसमें संत, विद्वान और प्रबुद्धजन हो। यह समिति कुंभ के पारंपरिक स्वरूप को लौटाएं।

उन्होंने कहा – सिंहस्थ-कुंभ को पिकनिक नहीं माने, यह आस्था का केंद्र हैं। लोग यहां शिप्रा में स्नान कर पुण्य प्राप्त करें। संतों के सान्निध्य में जीवन को संवारे। यहां से एक अच्छा संदेश लेकर जाएं। पहले सिंहस्थ और कुंभ में संत-महात्मा, आचार्य-विद्वान यहां आकर ईश्वर-धर्म की रक्षा तो करते ही थे, राष्ट्र की समस्याएं और विश्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श करते थे। समस्याओं का निराकरण करते थे। राजा-महाराजा संतों से प्रेरणा लेते थे। बाद में इन्हें क्रियान्वित किया जाता था। अब स्वरूप बदल गया है। जिस राजनीतिक दल की कुंभ-सिंहस्थ में सत्ता होती है, वे उसे अपने सांचे में ढालने का प्रयास करते हैं। यह गलत हैं। संतों ने हमेशा नेतृत्व किया है, समाज को सही दिशा दी है।

साथ ही उन्होंने कहा – सिंहस्थ में माइक का शोर हो गया है। इसके जितना हो सके कम किया जाना चाहिए।

स्त्रोत : भास्कर

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