सहारनपुर/देवबंद – आयुष मंत्रालय की ओर से योग दिवस पर ‘ॐ’ शब्द और संस्कृत के कुछ श्लोक का उच्चारण अनिवार्य करने को दारुल उलूम ने गलत ठहराया है। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा है कि, दारुल उलूम देवबंद देशके मुसलमानों से अपील करता है कि, यदि केंद्र सरकार द्वारा योग दिवस के मौके पर ‘ॐ’ शब्द का उच्चारण अनिवार्य किया गया तो मुसलमान योग दिवस का बहिष्कार करें और अपने बच्चों को उस दिन स्कूल या कोई दूसरे शिक्षण संस्थानों जहां पर योग दिवस मनाया जाए वहां न भेजें।
यहां बता दें कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से योग दिवस पर आयुष मंत्रालय के प्रोटोकॉल की पालना करने को कहा है। यूजीसी के निर्देशानुसार २१ जून को योग दिवस मनाए जाने के समय ‘ॐ’ और संस्कृत के कुछ श्लोक का उच्चारण अनिवार्य बताया गया है। इस पर देवबंद के इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम ने विरोध जताया है।
दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि ‘ॐ’ हिंदू धर्म की पूजा का एक हिस्सा है। इसलिए मुसलमानों पर इसे थोंपना संविधान में दी गई धार्मिक आजादी के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से किसी दूसरे धर्म के लोगों को मूर्ति पूजा के लिए बाध्या नहीं किया जा सकता है। उसी तरह ‘ॐ’ कहने या योग के लिए भी बाध्य नहीं किया जा सकता है।
स्त्रोत : पत्रिका