शिवतेज मंडल की ओर से शिवजयंती के निमित्त जाहीर कार्यक्रम
वास्तविक रूप से देश के ‘राष्ट्रपिता’ छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, ऐसा होते हुए भी नोट पर छत्रपति शिवाजी महाराज का छायाचित्र क्यों नहीं है ? – आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज का संतप्त प्रश्न
सांगली : ऐसा बताया जा रहा है कि, मोहनदास गांधीजी ने देश के लिए बहुत कुछ किया। प्रत्यक्ष में उन्होंने क्या किया, यह बात देश से छुपाकर रखी गई है। गांधीजी के कारण ही आज देश का विभाजन तथा असंख्य समस्याएं निर्माण हुई हैं !
उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहें, ऐसा कोई भी कार्य गांधीजी ने नहीं किया है !
इस के विपरित छत्रपति शिवाजी महाराज थे; उन्हीं के कारण, आज हर हिन्दू गर्दन ऊपर ऊठाकर जी सकता है ! वास्तविक रूप से देश के ‘राष्ट्रपिता’ छत्रपति शिवाजी महाराज थे; इसलिए देश की नोट पर छत्रपति शिवाजी महाराज का छायाचित्र क्यों नहीं है, ऐसा संतप्त प्रश्न आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराजद्वारा उपस्थित किया गया।
वे शिवतेज मंडल की ओर से शिवजयंती के निमित्त आयोजित यहां के गणपति पेठ के जाहीर कार्यक्रम में वक्तव्य कर रहे थे।
उस समय तीव्र हिन्दूत्वनिष्ठ विचारसरणी की हिन्दू धर्मप्रसारक पू. साध्वी सरस्वती देवीजी, ब्रह्मचारी अग्नीजी महाराज, डॉ. राजराजेश्वर महाराज ने भी मार्गदर्शन किया। मंडल के श्री. अंकुश जाधव ने प्रास्ताविक किया। उस समय विधायक श्री. सुधीर गाडगीळ, भाजपा के जनपद नियोजन समिति के सदस्य श्री. हणमंतराव पवार के साथ अनेक मान्यवर उपस्थित थे।
उस अवसर पर आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज ने ऐसा वक्तव्य किया कि, …
१. सांगली नथुराम गोडसे की भूमि है, इस बात का हमें अभिमान होना चाहिए। यह कितनी दुर्दैव की बात है कि, वास्तविक रूप से जो देशभक्त है, ऐसे नथुराम के नाम का ७० वर्षों तक हम उच्चार भी नहीं कर सकें !
२. आज ऐसी स्थिती है कि, यदि हिन्दुओं ने कुछ भी कृती नहीं की, तो आगामी १० वर्षों में वे अल्पसंख्यंक होंगे !
३. मुस्लिम महिलाओं को बुरखा धारण करना ही बाध्य होता है। साथ ही मुस्लिम महिलाओं के संदर्भ में किए जानेवाले भेद-भाव के संदर्भ में तृप्ती देसाई आंदोलन का आयोजन क्यों नहीं करती ? इस से केवल हिन्दू धर्म के विरोध में ही आंदोलन करनेवाली देसाई का झूठापन ही स्पष्ट होता है !
४. आज गोहत्या के साथ अपराधी वृत्ति से प्रत्येक अवैध कृती में मुसलमान अग्रेसर हैं !
५. मुस्लिम धर्मीय महिलाओं को साधारण अधिकार भी नहीं है, इसके विपरित हिन्दू धर्म में भारतीय स्त्री को देवी का स्तर दिया गया है। इससे हिन्दू धर्म कितना महान है, यह ध्यान में आता है !
पू. साध्वी सरस्वती देवीजी ने यह वक्तव्य किया कि, ….
१. आज देश में खुले आम ‘भारत तेरे टुकडे होंगे हजार’, इस प्रकार की घोषणाएं दी जाती हैं। इसका उत्तर हमें उन्हें उनकी ही भाषा में देना होगा !
२. अग्नि का रंग भगवा ही है। यह भगवा रंग हमें निरंतर प्रेरणा देता है। श्रीराम, श्रीकृष्ण, छत्रपति शिवाजी महाराज क्या इनमें से कोई भी एक परदेस गए हैं ? इस से भारत का महत्त्व ध्यान में आता है। साथ ही संत तुकाराम, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर समान अनेक संत महाराष्ट्र में हुए हैं। इस से महाराष्ट्र की असाधारणता ध्यान में आती है। अतएव अन्य किसी भी राज्य को ‘महाराष्ट्र’ नहीं कहते !
३. आज अमरनाथ यात्रा पर लगान लगाया गया है, इस के विपरित हजयात्रा के लिए सुविधा पूर्ति की जाती है। हिन्दूबहुल देश में ही हिन्दुओं पर ही होनेवाले अन्याय कितने दिन तक सहन करेंगे ?
४. आज १४ प्रकार के ‘जिहाद’ अस्तित्व में हैं। उन मेंसे ‘लव जिहाद’ तथा ‘लॅन्ड जिहाद’ सबसे भयंकर हैं। आज लगभग हर रेल स्थानक पर मुसलमानों ने अवैधरूप से धार्मिक स्थल का निर्माणकार्य कर बलपूर्वक अपने अधिकार में लिया है !
५. यह बात ध्यान में रखें कि, आज रक्षाबंधन के दिन बहनों को भेंटस्वरूप तलवार देने की आवश्यकता है। महिलाओं को भी गार्गी, मैत्रेयी, झांसी की रानी बनना है !
६. परदेश से आए राष्ट्रपति को गंगा आरती करने के लिए साथ लेकर जानेवाले प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी एकमात्र हैं। श्री. मोदी देश की संस्कृति का आदर पुरे विश्व में बढा रहे हैं !
क्षणिकाएं
१. कार्यक्रम से पूर्व गोमाता का पूजन किया गया, साथ ही व्यासपीठ पर विद्यमान शिवछत्रपति की प्रतिमा का पूजन भी किया गया।
२. पू. साध्वी सरस्वती देवीजी तथा आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज के प्रखर वक्तव्य के कारण तथा उपस्थितोंद्वारा दोनों हाथ ऊठाकर दी गई घोषणाओं के कारण पूरा परिसर गूंज ऊठा ! अनेक लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि, शिवसेनाप्रमुख स्व. बाळासाहेब ठाकरे के पश्चात ज्वलंत एवं प्रखर हिन्दूत्व के विचार सुननें को मिलें ! अनेक लोगों ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की कि, आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज अर्थात ‘हिन्दूत्व का ज्वालामुखी’ ! उनके लिए यह एक ही विशेषता बस है।
३. कार्यक्रम के लिए गणपति पेठ परिसर पूरी तरह से भरा हुआ था। कार्यक्रम के लिए महिलाओं की उपस्थिती भी लक्षणीय थी !
४. पू. साध्वी सरस्वती देवीजी ने उपस्थितों की ओर से देव, देश, धर्म की रक्षा हेतु कृती करने की प्रतिज्ञा करवाई।
५. पू. साध्वी सरस्वती देवीजी तथा आचार्य आर्य जितेंद्रजी महाराज इन दोंनों ने भी बताया कि, पू. संभाजीराव भिडे (गुरुजी) का कार्य आदर्श है ! साथ ही यह भी बताया कि, गुरूजीद्वारा बताए गए पथ पर मार्गक्रमण करना चाहिए।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात