संतसम्मेलन में व्यासपीठ पर उपस्थित साधु-संत मध्यभाग में (वर्तुल में) हिन्दू जनजागृति समिति के पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे
उज्जैन (मध्यप्रदेश) – साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को हिन्दू आतंकवाद के नाम पर ८ वर्ष कारागृह में रख कर उनके साथ छल किया गया । अंत में उन पर कोई आरोप नहीं है ऐसा बता कर सिंहस्थपर्व में अमृत (शाही) स्नान के लिए छोडा । अब तक पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू पर लगाया गया एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ । इसलिए वे भी साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर के समान निर्दाेष मुक्त होंगे । सभी संतों द्वारा संत सुरक्षा-गोरक्षा संत सम्मेलन में ऐसा विश्वास व्यक्त किया । उज्जैन मेें श्री योग वेदांत सेवा समिति की ओर से १९ मई को इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था । इस अवसर पर मुंबई के महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंदगिरी, आचार्य जितेंद्र आर्य, स्वामी प्रशांतानंदजी, हरिदासजी, महामंडलेश्वर बालमुकुंद देवाचार्य, रामगिरी महाराज, आयार्च सुनील शास्त्री, मलुक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, वैदिक सनातन धर्म राष्ट्र रक्षा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गंगाराम तिवारी, तथा अन्य अनेक संत उपस्थित थे ।
इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंदगिरी ने कहा कि, उज्जैन ही श्री महाकालेश्वर की नगरी है । यदि यहां सर्व भक्तों द्वारा क्षिप्रा नदी में राजयोगी (शाही) स्नान कर पू. आसारामजी बापू की मुक्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना की गई, तो पू. बापूजी सिंहस्थपर्व समाप्त होने पर निश्चित बाहर आएंगे । प्रार्थना में अद्वितीय शक्ति है ।
पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू पर आरोप लगानेवालों के लिए मुंह दिखाना असंभव होगा – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे
इस अवसर पर पू. डॉ. पिंगळे ने कहा कि, एक बडे षड्यंत्र द्वारा कांची कामकोटी के पीठाधीश्वर स्वामी जयेंद्र सरस्वती तथा स्वामी नित्यानंद एवं साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को बंदी बनाया गया । शासकीय तंत्र का दुरुपयोग कर न्यायालय को भ्रमित कर हिन्दुओं के संतों को बंदी बनाया जाता है, यह दर्शा कर सनातन हिन्दू धर्म पर आघात करने का षड्यंत्र है । इसमें आगे की शृंखला आसारामजी बापू हैं । संतों की शक्ति से इस सृष्टि का संचलन हो रहा है । उनकी सुरक्षा की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । संंत स्वयं प्रेमी एवं करूणास्वरूप होने से उन पर अन्याय करनेवालों पर वे क्रुद्ध नहीं होते । भक्तों को समाज में जाकर साधु, संन्यासी तथा जनता में जागृति करनी चाहिए । विश्वामित्र ऋषि के यज्ञ में असुर हड्डियां, रक्त इत्यादि डाल कर विघ्न लाते थे । वास्तव में विश्वामित्र ऋषि स्वयं असुरों का विनाश कर सकते थे; परंतु वे श्रीराम को समाज के सामने लाना चाहते थे, वैसे ही पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू का है । वर्तमान समय में कोई अच्छा राजनेता आगे आए, इस हेतु वे कर रहे हैं । तथापि वर्तमान में ऐसा कोई दिखाई नहीं देता, परंतु मुझे विश्वास है कि इतिहास की पुनरावृत्ति होगी । जो साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर एवं अन्य २ संतों के साथ हुआ, वही पू.बापूजी के साथ होगा । बापूजी पर आरोप लगानेवालों को मुंह दिखाना असंभव होगा ।
हिन्दू यदि संगठित होते, तो बापूजी को हाथ लगाने का किसी का साहस नहीं होता ! – आचार्य जितेंद्र आर्य
आचार्य जितेंद्र आर्य ने कहा कि अपना देश अभी तक स्वतंत्र नहीं हुआ है, हम दास ही हैं । इस देश के प्रसिद्धिमाध्यम भी विदेशी लोगों के पैसों पर चलते हैं । उनके कहने के अनुसार वे आचरण कर रहे हैं । अतः अपने आदरणीय संतों के विषय में मनचाहे अपशब्द प्रयुक्त कर उनकी मानहानि की जा रही है । यदि हिन्दू संगठित होते, तो जब पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू को बंदी बनाने का प्रयास किया गया तब वे सभी एकत्रित रूप से मार्ग पर आए होते एवं कोई बापूजी को हाथ भी लगाने का साहस नहीं दिखाता । हमें बताया जाता है कि वर्ष १८५७ का युद्ध अपना प्रथम स्वातंत्र्यसंग्राम है; परंतु इससे पूर्व वर्ष १७६२ में संन्यासियों द्वारा प्रथम युद्ध किया गया था, जो हमसे जानबूझ कर छिपाया जा रहा है, क्योंकि अबतक का शासन इस बात से भयभीत है कि यदि आज के संन्यासियों को इसका पता चला, तो वे पुनः विद्रोह करेंगे । आसारामजी बापू के विदेशी वस्तुओं के विरुद्ध आंदोलन करने के कारण ही उन्हें फसाया गया है । इसलिए हममें से कोई भी विदेशी वस्तु क्रय न करे ।
सनातन संस्था ने बापूजी के लिए बहुत बडा आंदोलन किया ! – आचार्य जितेंद्र आर्य
सनातन संस्था ने बापूजी के लिए बहुत बडा आंदोलन किया । सनातन ने पूरे भारत के प्रसिद्धिमाध्यमों से लडाई की । ऐसी है यह सनातन संस्था, आचार्य जितेंद्र आर्य ने सनातन संस्था के विषय में ऐसे गौरवोद्गार व्यक्त किए ।