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उज्जैन के ‘विचार महाकुंभ’ को श्रीलंका के राष्ट्रपति को आमंत्रित करने की आवश्यकता नहीं थी – जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्यजी

उज्जैन सिंहस्थपर्व !

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उज्जैन : जिस बौद्ध धर्मद्वारा निरंतर हिन्दू धर्म को उद्ध्वस्त करने हेतु प्रयास किए गए, उस धर्म का प्रतिनिधित्व करनेवाले श्रीलंका के राष्ट्रपति को विचार महाकुंभ के लिए आमंत्रित करने की आवश्यकता नहीं थी, ऐसा बताते हुए जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्यजी ने प्रतिपादित किया कि, सिंहस्थपर्व में किया गया ‘विचार महाकुंभ’ का आयोजन हिन्दू धर्म के लिए लज्जास्पद है !

जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्यजी
जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्यजी

उन्होंने आगे कहा,

१. अपने देश की प्रतिष्ठा की दृष्टि से कुछ बातें कार्यक्रम के अवसर पर बोलना उचित नहीं है; परंतु उसकी पुनरावृत्ति न हो, इस हेतु इस कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात कह रहा हूं !

२. इस कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों के पास विचार ही नहीं थे ! ऐसे लोग विचारों का मंथन कैसे करेंगे ? इस विचार मंथन से ऐसा त्रुटिपूर्ण संदेश जाएगा कि इससे पूर्व कुंभमेले में चिंतन ही नहीं होता था !

३. प्रधानमंत्री ने यहां आकर विचार मंथन के माध्यम से स्वयं वैश्विक नेता हैं, ऐसा दिखाने का जो प्रयास किया, उससे सभी संत एवं तपस्वियों का अपमान हुआ है !
(संदर्भ : दैनिक दबंग दुनिया)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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