हिन्दू ही हिन्दुओं के शत्रू हो गए है !
केवल, हिन्दू धर्म पर ही आघात करने का निरंतर कार्य करनेवाले राजनितीक पक्ष
एक राज्य की एक वैदिक संस्कृत पाठशाला में जाने पर वार्तालाप में उन्होंने बताया कि, हमारी वेद पाठशाला के लडकों को शासनद्वारा शिष्यवृत्ति एवं भोजनव्यय के लिए लगभग १ सहस्र ५०० रुपयों का अनुदान मिलता है !
राजनीतिज्ञ अथवा शासकीय अधिकारी हम पर दबाव डालते हैं। आप को वेदपाठशाला में पिछडी जाति के लोगों को प्रवेश देकर वेद पढाने चाहिए। यदि ऐसा किया तो हम आपको अधिकाधिक अर्थसहायता कर आपके पीछे खडे रहेंगे !
इस पर उन्होंने कहा कि, मैं इस विषय में अभ्यास कर एवं धर्ममार्तंडों को पूछ कर निर्णय लूंगा !
इससे, ऐसा समझ में आता है कि, स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाले एक पक्ष के समान एक तथाकथित हिन्दुत्वनिष्ठ पक्ष भी अन्य धर्मियों के धार्मिक कामकाज में उनकी रुढि एवं परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं करता; परंतु हिन्दू धर्म में हस्तक्षेप भी करता है एवं, रुढि एवं परंपराओं को विरोध कर हिन्दू धर्म पर आघात करने का कार्य करता है !
– (पू.) डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
Please advise why not have the system of Vedic Pathshala students as an open system to all Hindus, irrespective of upper or lower caste or dalit non-dalit. If it is open to all Hindus who can qualify on merit, and not on caste, then the Political class and their beauracrats have no standing to put pressure. Another suggestion is to take funds from various temples like Tirupathi, Vaishno Devi, Shirdi, Sidhivinayak etc – and so we donot have to depend on the governemnt.