उज्जैन सिंहस्थपर्व !
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित धर्मशिक्षा प्रदर्शनी
उज्जैन : सनातन की प्रदर्शनी अद्भुत है ! यह गौरवोद्गार पंजाब के संगरूर जनपद के एक भिक्खु स्वामी निरंजनानंद महाराजजी ने यहां निकालें। उन्होंने सनातन संस्था एवं हिन्दु जनजागृति समिति ने लगाई हुई प्रदर्शनी के अवलोकन कर यह बात कही।
स्वामी निरंजनानंदजी ने आगे कहा, हमने तो धर्म के लिए बहुत अल्प कार्य किया है। उस की अपेक्षा आप इस प्रदर्शनी के माध्यम से धर्म की परिपूर्ण सेवा कर रहे हैं। हम संतों को ऐसा कभी नहीं सूझेगा !
आप के गुरुदेव जी डॉक्टर होने के कारण वे कोष्टकें एवं फलकों के माध्यम से अच्छा धर्मप्रसार कर रहे हैं। सनातन की प्रदर्शनी अद्भुत है। मैने जिस की कल्पना की थी, उस से भी अधिक गहरा चिंतन एवं अध्ययन कर सनातन ने प्रदर्शनी बनाई है ! ऐसी जानकरी अन्य कहीं नहीं मिलेगी। मैं सिंहस्थपर्व आया; परंतु मुझे किसी साधु-संतों से मिलने की इच्छा नहीं हुई। सर्वत्र पाखंडपन प्रतित हुआ। किसी से मन की बात कहें अथवा उन से निकटता करें, ऐसा नहीं लगा; परंतु सनातन की प्रदर्शनी में आनेपर मुझे बहुत ही अच्छा लगा !
सनातननिर्मित देवताओं के सात्त्विक चित्र देखनेपर महाराजजी का भाव जागृत हो रहा था। उन्होंने सभी देवताओं के चित्रों का क्रय किया तथा कहने लगे कि, मैने ऐसे चित्र कहींपर भी नहीं देखे ! इस के अतिरिक्त उन्होंने, ‘कुंभमेलों में कुछ साधूओं का पाखण्ड’ ये हिंदी ग्रंथ का भी क्रय किया।
स्वामी निरंजनानंद रात में जब निवास के लिए जा रहे थे, तब मार्ग में प्रदर्शनी दिखनेपर वे सहजही उसे देखने पधारें। उस के पश्चात उन्हों ने पूरी प्रदर्शनी का जिज्ञासा के साथ अवलोकन किया। सवेरे महाराजजी पुनः प्रदर्शनी देखने आए तथा उन्हों ने कुछ ग्रंथ एवं देवताओं के चित्रों का क्रय किया।
हिन्दु जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के साथ उन्हों ने वर्तमान स्थिति, साथ ही अध्यात्म से संबंधित प्रश्न पूछकर बातचीत कि। इस अवसरपर पू. डॉ. पिंगळेजी ने उन्हें हिंदी भाषिक ’श्री गंगाजी की महिमा’ ग्रंथ भेंट देकर उन का सम्मान किया।
क्षणचित्र
१. प्रदर्शनी का अवलोकन करते समय स्वामी निरंजनानंद महाराजजी अत्यंत जिज्ञास एवं नम्रता के साथ प्रश्न पूछ रहे थे !
२. पू. डॉ. पिंगळेजी के साथ बात करते समय स्वामी निरंजनानंद महाराजजी का भाव जागृत हो रहा था, अपितु स्वामी निरंजनानंदजी महाराज का भाव देखकर पू. डॉ. पिंगळेजी का भी भाव जागृत हुआ !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात