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कश्मीर के ऐतिहासिक हिन्दू स्थल ‘हरि पर्वत’ का नामकरण ‘कोह-ए-मारण’ किया गया !

पिडीपी-भाजपा सरकार के राज्य में कश्मीरका हो रहा है इस्लामीकरण !

इसके पहले भी ‘शंकराचार्य पर्वत’ के नाम का इस्लामीकरण किया गया था । एेसी घटनाए पुन: ना हो इसलिए जनताने भाजपा के हाथ में सत्ता दी है, यह बात भाजपा ने ध्यान में रखनी चाहीए ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति

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माता शारिका मंदिर

धर्मनिरपेक्ष भारत में कश्मीरी पंडितों को पहले तो अपने देश से धर्म के आधार पर जिहादी और अलगाववादी शक्तियों ने बेहाल कर किया, बाद में उनके धार्मिक स्थलों के नाम बदलने का षडयंत्र रचा गया और अब सुनियोजित रुप से उनकी तीर्थ यात्राओं में विघ्न डालने का प्रयास किया जा रहा है ।

कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने कश्मीर किला उत्सव पर प्रसिद्ध ‘हरि पर्वत’ को ‘कोह-ए-मारण’ नाम दिए जाने को लेकर जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग की रविवार को आलोचना की । ‘जम्मू फॉर इंडिया’ के घटक पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अग्निशेखर ने शनिवार को यहां पत्रकार परिषद में कहा कि, ‘कोह-ए-मारण’ का अर्थ होता है दुष्ट का पर्वत जबकि ‘हरि’ का अर्थ शारिका है । यह दुर्गा देवी एवं ज्ञान की देवी का प्रतीक है । यहां तक कि, श्रीनगर का नाम भी इसी पर रखा गया है । उन्होंने कहा कि, पीडीपी-भाजपा की सरकार ने षडयंत्र रचा कर इसका नाम बिगाडकर ‘कोह-ए-मारण’ किया है ।

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हरि पर्वत

अग्निशेखर ने कहा कि, मुफ्ती मोहम्मद सईद के पहले कार्यकाल में भी ‘हरि पर्वत’ का नाम बदलकर ‘हरा पर्वत’ रखने का प्रयास की गया था । कडे विरोध के बाद यह कदम वापस ले लिया गया था ।

इसी तरह श्रीनगर स्थित ‘शंकराचार्य पर्वत’ का नाम भी बदलकर ‘कोह-ए-सुलेमान’ करने के प्रयास भी हिन्दुद्रोहीयोंद्वारा जारी है । उन्होंने कहा कि, यह कश्मीर के ऐतिहासिक हिन्दू स्थलों का इस्लामीकरण करने की गहरा षडयंत्र है जिसे सहा नहीं जाएगा ।

रूट्स इन कश्मीर के प्रवक्ता अनूप भट ने बताया, ‘ऐसे समय में जब भाजपा सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने के बारे में गंभीरता से चर्चा कर रही है, जम्मू-कश्मीर में इसकी स्वयं की सरकार ऐसे कार्यों (हरि पर्वत को कोह-ए-मारण नाम देकर) से इसकी प्रयासों को निर्बल करने का काम कर रही है ।’

उन्होंने समाचारपत्रो में हाल ही में आए जम्मू-कश्मीर पर्यटन के विज्ञापन की निंदा की जिसमें हरि पर्वत को ‘कोह-ए-मारण’ बताया गया है । अनूप ने कहा कि, हरि पर्वत का न केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व है अपितु यह देवी शारिका का वास स्थल भी है ।

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पनून कश्मीर सहित विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठनों, ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कान्फ्रेंस ने शनिवार (२१ मई) को घटना की निंदा की और इसकी जांच की मांग की ।

संदर्भ : रिव्होल्ट प्रेस

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