सातारा के कराड में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
क्रांतिकारकों को ‘आतंकवादी’ कहना, उनका अक्षम्य अनादर है – श्री. हेमंत सोनवणे
कराड : देहली विश्वविद्यालय की ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ इस पाठ्यपुस्तक में हुतात्मा भगतसिंह सहित चंद्रशेखर आझाद, सूर्यसेन आदि क्रांतिकारकों को आतंकवादी ठहराने का घृणास्पद कृत्य किया गया है !
जिन क्रांतिकारकों ने देश के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान किया, उन को स्वाधीन भारत में आतंकवादी कहना इन क्रांतिकारकों के प्रति अक्षम्य अनादर ही है। ऐसा प्रतिपादन हिन्दु जनजागृति समिति के श्री. हेमंत सोनवणे ने किया।
यहां के शाहू चौक में हिन्दु जनजागृति समिति के नेतृत्व में आयोजित ‘राष्ट्रीय हिन्दु आंदोलन’ में वे बोल रहे थे।
इस आंदोलन में श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान, हिन्दु एकता आंदोलन, हिन्दु जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था के ६० से भी अधिक कार्यकर्ता एवं साधक सम्मिलित हुए थे।
श्री. हेमंत सोनवणे ने आगे कहा कि, आजतक केवल गांधी-नेहरू की अनादर करनेवालोंपर ही तुरंत अपराध प्रविष्ट किए जाते हैं। तो फिर हुतात्मा भगतसिंग, चंद्रशेखर आझाद आदि क्रांतिकारकों का अनादर करनेवालोंपर आजतक इस प्रकार के अपराध क्यों प्रविष्ट नहीं किए गए ?
केवल धर्मपिठ को ही धार्मिक परंपराओं के विषय में निर्णय करने का अधिकार ! – श्रीमती नीला देसाई
हिन्दुओं ने स्त्री-पुरुष समानता से भी आगे जाकर स्त्रियों को एक देवता के रूप में पूजा है !
इसलिए हिन्दुओं के मंदिरों में महिलाओं के लिए प्रवेश नहीं है, यह आरोप ही झूठा है। महिलाओं का मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना पूर्णरूप से धार्मिक विषय होने से इस विषय में कोई भी निर्णय करने का अधिकार केवल धर्मपिठ को है। यह प्रतिपादन श्रीमती नीला देसाई ने अंत में किया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात