शुद्ध भाद्रपद कृ.११, कलियुग वर्ष ५११४
मुंबई – आसाममें हुए दंगोंमें जिहादी मानसिकताके घुसपैठिये बांग्लादेशी मुसलमानोंपर नहीं, अपितु स्थानीय हिंदुओंपर ही अमानवीय अत्याचार हुए हैं । बांग्लादेशसे आए हुए घुसपैठिये मुसलमानोंके कारण ३ लाखसे अधिक बोडो हिंदुओंको अपने ही देशमें विस्थापित जीवनयापन करनेका दुर्भाग्यपूर्ण समय आन पडा है । घुसपैठियोंद्वारा किए गए दंगोंमें अनेक हिंदुओंकी मृत्यु हो गई है तथा अनेक घायल हुए हैं; परंतु ‘उलटा चोर कोतवालको डांटे’ इस उक्तिके अनुसार आसामके मुसलमानोंपर अन्याय हुआ है, ऐसा हो-होल्ला मचाकर ‘रजा अकादमी’ नामक उग्र तथा धर्मांध संगठनने मुसलमानोंकी भावनाएं भडकाकर मुंबईमें नियोजनबद्ध दंगे भडकाए हैं । हिंदू जनजागृति समितिने प्रसिद्धीपत्रक प्रकाशित कर मांग है कि ‘रजा अकादमी’ संगठनपर तत्काल प्रतिबंध लगाकर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । उसी प्रकार मुंबई दंगोंमें हुई सर्वप्रकारकी क्षतिकी पूर्ति उनसे वसूल करनी चाहिए ।
प्रसिद्धी पत्रकमें आगे कहा गया है कि, मुसलमानोंको प्रक्षोभक, बनाकर राष्ट्रघाती कृत्य करनेके लिए प्रवृत्त करना इस संगठनकी कार्यपद्धति ही है । दंगोंके घटनाक्रमसे यह स्पष्ट होता है कि इसी कार्यपद्धतिका उपयोग ‘रजा अकादमी’ने मुंबईके आंदोलनमें किया गया है । मोर्चेके लिए आए हुए लोगोंके पास लाठियां, पत्थर, चाकू तथा छुरे थे । ये लोग नागरिकोंको चाकू-छुरे दिखाकर आतंक निर्माण करनेका प्रयास कर रहे थे । यह एक प्रसंग ही इस बातका प्रमाण है कि दंगे पूर्वनियोजित थे ।
मोर्चेके लिए आनेवालोंके कानूनद्रोही कृत्योंके विरोधमें किए गए परिवादोंपर पुलिसद्वारा गौर न करना !
इस दंगेमें पुलिसके तीन वाहन, समाचार प्रणालोंके तीन ओबी वैन, अन्य अनेक वाहनोंको जलाना, महिला पत्रकारोंका विनयभंग करना, पत्रकारोंको चाकू-छुरे दिखाना इत्यादि घृणास्पद कृत्äय दंगाईयोंने किए हैं । दंगोंके समय आगजनी करनेके लिए इतनी बडी मात्रामें पेट्रोल तथा अन्य पदार्थ पूर्वनियोजन कर लाए गए थे । दिनके ११ बजेसे झुंड बनाकर निकलनेवाली यह धर्मांध मंडली स्थान-स्थानपर महिलाओंको छेड रही थी । उनकी शिकायत करनेपर पुलिसद्वारा उनपर योग्य प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई होती, तो आगे आनेवाला संकट टाला जा सकता था । इन सर्व घटनाओंपर हम तीव्र निषेध व्यक्त करते हैं ।
एका महिला पत्रकारने कल दंगाईयोंके कृत्य तथा पुलिसद्वारा उस ओर की गई अनदेखीका सूत्र पत्रकार परिषदमें मुख्यमंत्रीको बताया । इस पर उन महिला पत्रकारोंकी सहायता करनेकी अपेक्षा उन पर चिल्लानेका कृत्य मुख्यमंत्रीद्वारा किया गया था, यह अत्यंत निंदनीय कृत्य है । कांग्रेस सरकार ऐसे राष्ट्रविघातक कृत्य करनेवाले मुसलमानोंपर कितनी कठोर कार्यवाही करेगा यह प्रश्न ही है ।
`रजा अकादमी’के कुछ संविधानद्रोही कृत्य !
१. वर्ष २००७ में भिवंडीमें हुए दंगोंमें भी मुसलमानोंको भडकाकर दो पुलिस कर्मियोंको जीवित जलानेमें ‘रजा अकादमी’का अध्यक्ष युसुफ रजा सम्मिलित था । इस प्रकरणमें उसे बंदी भी बनाया गया था ।
२. लंदनके प्रसिद्ध नियतकालिक ‘टेलिग्राफ’के पत्रकार चार्ल्स मूर ने मोहम्मद पैगंबरका अपमान करनेके कथित आरोपसे उन्हें प्राणदंड देनेका ‘फतवा’ इसी ‘रजा अकादमी’ने प्रसिद्धीपत्रक प्रकाशित कर, जारी किया था । प्रसिक आज भी ‘रजा अकादमी’के जालस्थलपर उपलब्ध है ।
३. जनवरी २०१२ में राजस्थानकी राजधानी जयपुरकी पुस्तक प्रदर्शनीके लिए सलमान रश्दी आनेवाले थे । उनके आगमनका विरोध करनेके लिए रजा अकादमी द्वारा घोषणा की गई थी कि, ‘जो रश्दीको चप्पल मारेगा उसे १ लक्ष रुपयोंका पारितोषिक दिया जाएगा ।’
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात