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‘स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी’ ‘हिन्दू राष्ट्र’ के प्रखर पुरस्कर्ता – श्री. चैतन्य तागडे, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की १३३ वी जयंती

उपस्थितों को संबोधित करते हुए, समिति के श्री. चैतन्य तागडे
उपस्थितों को संबोधित करते हुए, समिति के श्री. चैतन्य तागडे

पिंपरी (पुणे) : स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की १३३ वी जयंती यहां कालेवाडी के पार्वती अंग्रेजी मिडीयम पाठशाला के मैदान पर हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित की गई थी। उस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. चैतन्य तागडे संबोधित कर रहे थे।

अपने संबोधन में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘क्रांतिकारकों के कुलपुरुष तथा ‘हिन्दूहृदयसम्राट’ स्वातंत्र्यवीर सावरकर, ‘हिन्दू राष्ट्र’ के प्रखर पुरस्कर्ता थे ! उनके जयंतीदिन के निमित्त उनके प्रखर विचारों का स्मरण कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना का संकल्प करेंगे !’

उस समय ५०० से अधिक सावरकर प्रेमी नागरिक उपस्थित थे।

उन्होंने आगे कहा, स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी कहते थे कि, ‘हिन्दुओ, अहिन्दू के रूप में यदि प्रत्यक्ष इंद्रपद प्राप्त हुआ, तो भी उसे पैरोंतले कुचलकर एक ‘अंतिम हिन्दू’ के रूप में मैं मरूंगा !’ ऐसी प्रतिज्ञा लें !

धर्मपरिवर्तन अर्थात, राष्ट्रांतर !, ऐसी स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की स्पष्ट भूमिका थी ! जिस प्रकार एक अग्निहोत्री यज्ञकुंड में ‘अग्नि’ प्रज्वलित रखता है, उसी प्रकार आप भी ‘हिन्दूत्व’ का स्फुल्लिंग अंतःकरण में प्रज्वलित रखें !

अब, ‘हिन्दू राष्ट्र’ को केवल ‘हुतात्मा’ओं की संख्या नहीं बढ़ानी है ! हमारी पीढी ने राष्ट्र को ‘हुतात्मा’ की चरणसीमा तक बढ़ाया है, अब अगली पीढी ने ‘वीर’ बनकर ‘विजयपथ’ पर आगे बढ़ना चाहिए !

यहां, स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की दूरदृष्टि स्पष्ट होती है कि, अगली पीढी की ‘स्वधर्म’ के संदर्भ में मानसिकता क्या होनी चाहिए ! स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी ने अपने कार्यकाल में उत्तुंग क्रांतिकार्य किया, उसमें भाषाशुद्धी, हिन्दुओं का शुद्धिकरण, जातपात में फंसे हिन्दुओं का ‘संघठन’, आदि कार्य किया !

हिन्दुओं को ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना हेतु प्रयास करना, यही वास्तव में स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी को आदरांजली सिद्ध होगी !

इस कार्यक्रम का सूत्रसंचलन समिति के श्री. जयेश बोरसे ने किया।

क्षणिकाएं

१. पार्वती अंग्रेजी मिडीयम पाठशाला के संस्थापक अध्यक्ष श्री. नढे-पाटिल ने व्याख्यान हेतु पाठशाला का मैदान उपलब्ध किया।

२. इस अवसर पर सनातन संस्था ठाणे की ओर से क्रांतिकारकों की जानकारी देनेवाली ‘क्रांतिगाथा प्रदर्शनी’ आयोजित की गई थी।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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